भोपाल: मामले और कार्यवाही की जानकारी के बिना बयान देते हैं अधिकारी, लोकायुक्त ने पत्र लिख जताई नाराजगी

भोपाल, मध्यप्रदेश। न मामले की जानकारी होती है न कार्यवाही के बारे में कुछ पता होता है। ऐसे अधिकारी भी बयान दे देते हैं। यह कहना है मध्यप्रदेश लोकायुक्त का। अधिकारियों और कर्मचारियों के रवैय्ये से नाराज लोकायुक्त ने मध्यप्रदेश शासन को पत्र लिख दिया है।
पत्र में लिखा गया है कि, 'लोकायुक्त संगठन द्वारा यह संज्ञान में लाया गया है कि किसी शिकायत या जांच के संबंध में लोकायुक्त या उप लोकायुक्त के समक्ष उपस्थित होने हेतु निर्देशित करने पर कुछ ऐसे कनिष्ठ अधिकारी जैसे अनुभाग अधिकारी, कर्मचारी अपने वरिष्ठों की ओर से उपस्थित होते हैं। इन्हें मामले की पर्याप्त जानकारी नहीं होती है और न ही वे मामले में की जाने वाली उचित कार्यवाही के बारे में कोई प्रतिवद्धता जता पाते हैं।
मध्यप्रदेश के कार्य आबंटन नियम का उल्लेख करते हुए लोकायुक्त ने कहा है कि, "प्रत्येक ऐसा आदेश या लिखत मध्यप्रदेश शासन के या तो मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, संयुक्त सचिव, उप सचिव या अवर सचिव द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा। ऐसे हस्ताक्षर होने पर यह समझा जाएगा कि ऐसा आदेश या लिखत उचित रूप से प्रमाणीकृत है। उन मामलों को इस आदेश से छूट दी गई है जिनमें किसी अधिकारी को मध्यप्रदेश शासन के किसी आदेश या लिखत पर हस्ताक्षर करने के लिये विशेष रूप से सशक्त किया गया हो।
पत्र में भी कहा गया है कि, शिकायत या जांच के जुड़ा व्यक्ति अगर लोकायुक्त या उप लोकायुक्त के समक्ष उपस्थित न हो पाए तो यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य सरकार के अवर सचिव स्तर से अनिम्न श्रेणी का कोई अधिकारी, जो मामले के सभी तथ्यों से परिचित हों वही लोकायुक्त या उप लोकायुक्त के समक्ष उपस्थित हो। अवर सचिव की पदस्थापना न होने की दशा में न्यूनतम अनुभाग अधिकारी, प्रभारी अनुभाग अधिकारी की उपस्थिति निर्देशित की जा सकती है।