संघ प्रमुख मोहन भागवत जी का इंदौर में संबोधन: बोले - "तालमेल, सद्भाव और अनुशासन सिखाता है भारतीय संगीत"
इंदौर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत जी ने शुक्रवार को इंदौर में आयोजित 'स्वर शतकम् मालवा' कार्यक्रम में भाग लेते हुए भारतीय संगीत और पारंपरिक वादन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय संगीत और वाद्य यंत्रों का तालमेल, सद्भाव और अनुशासन सिखाता है, साथ ही यह मनुष्य को व्यर्थ के आकर्षणों से मुक्त कर सत्कर्मों की ओर प्रेरित करता है।
कार्यक्रम में संघ के 870 स्वयंसेवकों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों से सामूहिक वादन किया। इस अवसर पर भागवत जी ने बताया कि भारतीय संगीत न केवल चित्त की वृत्तियों को शांत करता है, बल्कि आनंद की भावना उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा, "दुनिया का संगीत चित्त को उत्तेजित करता है, जबकि भारतीय संगीत उसे शांति प्रदान करके आनंद उत्पन्न करता है। भारतीय संगीत सुनने से व्यक्ति में इधर-उधर के आकर्षणों से मुक्ति पाकर सत्कर्मों की प्रवृत्ति जागृत होती है।"
संघ प्रमुख ने यह भी बताया कि संघ के स्वयंसेवकों ने देशभक्ति से प्रेरित होकर विभिन्न वाद्य यंत्रों से भारतीय शैलियों की धुनों और युद्ध संगीत की रचना की। उनके इस प्रयास के पीछे यह भावना थी कि दुनिया में जो कला सबके पास है, उसका भारत में भी अभाव नहीं होना चाहिए।
भागवत जी ने कहा, "भारत कोई पिछड़ा हुआ या दरिद्र देश नहीं है। हम भी दुनिया के अन्य देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर यह बता सकते हैं कि हमारे पास भी अनमोल कलाएं और संस्कृतियां हैं।"
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस अवसर पर यह भी स्पष्ट किया कि संघ के स्वयंसेवक संगठन की शाखाओं में विभिन्न कलाओं को केवल प्रदर्शन के लिए नहीं सीखते। उन्होंने उदाहरण के तौर पर लाठी चलाने का जिक्र किया और कहा कि इस कला का उद्देश्य दूसरों के सामने प्रदर्शन करना या झगड़ा करना नहीं है।
"लाठी चलाने से मनुष्य में वीरता का भाव उत्पन्न होता है और वह डर से मुक्त हो जाता है।" उन्होंने यह भी कहा कि लाठी चलाने का प्रशिक्षण संकटों का सामना करने के लिए साहस और संकल्प की शक्ति प्रदान करता है, जो व्यक्ति को बिना रुके अपने उद्देश्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।
संघ प्रमुख ने यह भी बताया कि संघ इस वर्ष अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रहा है और उन्होंने आम लोगों से अपील की कि वे संघ के स्वयंसेवकों के साथ मिलकर राष्ट्र के नव निर्माण के इस अभियान में भाग लें।