उप चुनाव मे मेहगांव इतिहास दोहराएगा या नया रचेगा

अनिल शर्मा

Update: 2020-05-25 08:45 GMT

वेबडेस्क। इतिहास दोहराता भी है और नया रचा भी जाता है यह दोनों ही स्थापित सत्य है। भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश मे आधी अधूरी सत्ता पाने से अति उत्साह मे आने के जरूरत नही है। उप चुनाव को चुनौती पूर्ण मानकर मेदान मे उतरना होगा, महल के विलय होने से भाजपा को फायदा तो होगा पर चुनोतिया भी कम नही है। उनको नजर अंदाज करना किरकिरी भी करा सकता है चंबल संभाग मे सात सीटो पर उप चुनाव है जिसमे भिंड जिले की दो सीटे महगाव व गोहद भी शामिल है। वैसे तो महगाव विधानसभा क्षेत्र अब तक किसी भी दल का गढ़ बन नहीं पाया, 1998 में पहली बार भाजपा को सफलता मिली और अब तक तीन बार भाजपा के विधायक चुने जा चुके हैं।

जबकि कांग्रेस को दो बार प्रतिनिधित्व का मौका मिला है। तीसरा चुनाव काँग्रेस ने 2018 मे जीता और ओ पी एस भदोरिया विधायक चुने गए थे , जो काँग्रेस की नीतियो और उपेक्षा से तंग आकर सिंधिया के साथ काँग्रेस छोडकर अब भाजपा मे है जो संभवत उप चुनाव मे भाजपा के उम्मीदवार भी होंगे लेकिन राजनीति मे कब क्या हो जाये, अभी कुछ भी कह पाना मुश्किल है। पाला बदलने पर तेरह साल तक रायसिंह बाबा को नही किया था।  माफ महगाव विधान सभा क्षेत्र की जनता पाला बदलने वाले को कितना पसंद करती है। इसके प्रमुख साक्षी स्व रायसिंह भदोरिया बाबा है,जो महगाव विधान सभा क्षेत्र के तेज- तर्रार दवंग जन नेता के रूप मे पहिचाने जाते थे एसे जननेता को महगाव के मतदाताओ ने पाला बदलने पर तेरह साल तक माफ नही किया था। 

इसकी पुष्टि के लिए राजनेतिक इतिहास को खगालने के साथ ही मतदाताओ के अंदर झाकने के लिए महगाव की राजनेतिक पृष्ठ भूमि को जानना जरूरी होगा।  यह विधान सभा जातीय समीकरणों के आधार पर भदोरिया व ब्राह्मण व पिछडा बर्ग जाति बाहुल्य है। 1967 मे जनसंघ से राय सिंह भदोरिया विधायक चुने गए थे। उन्होने 1972 मे जनसंघ से पाला बदल कर काँग्रेस से चुनाव लडा तो न केवल बुरी हार हुई बल्कि तेरह साल तक जीत की खुशी नसीव नही हुई थी। 72 के बाद 77 मे भी जनता ने नकार दिया था और तेरह साल वाद जनता ने माफ कर निर्दलीय विधायक चुनकर भेजा था।  

सिंधिया महल के प्रभाव मे कभी नही रहा महगाव-

स्वतन्त्रता के बाद लोकतान्त्रिक प्रणाली मे अब तक हुये चुनाव मे महगाव महल के प्रभाव मे कम ही रहा है, बड़े महाराज केलास वासी माधवराव सिंधिया के समय मे 1990 मे महगाव से चुनाव जीते हरी सिंह नरवरिया को अपवाद मान ले तो अब तक सिंधिया समर्थक को हार ही मिली है। हरीसिंह नरवरिया को टिकिट दिलाने का श्रेय जरूर महल को जाता है। लेकिन जीत के पीछे जातिय एकता बताई जाती है बरना सिंधिया की कृपा से 1993, 1998, 2008 मे हरी सिंह को टिकिट तो काँग्रेस से मिला पर जिता नही पाये थे।  2013 मे सिंधिया समर्थक ओ पी एस भदोरिया को काँग्रेस ने टिकिट दिया।1985 के लंबे अंतराल पश्चात किसी राष्ट्रिय दल ने भदोरिया को उम्मीदवार बनाया था। 

महगाव का भदोरिया एक जुट था और अन्य जातीय बिखरी हुई थी। इसके बाबजूद ओ पी एस चुनाव हार गए, 2018 का चुनाव जीते , यह जीत सिंधिया के प्रभाव से मान भी ले पर यथार्थ वजह भदोरिया जातीय का लामबंद होना था यह भी सत्य है यदि टिकिट ही नही मिलता तो जीत केसे से मिलती निष्ठाओ को नजरंदाज करना पड़ सकता है। महंगा वेसो तो विधायकी का वालिदान कर आए सिंधिया समर्थक विधायकों को टिकिट मिलना उनका अधिकार है और मिलना भी चाहिए।  इस बात को महगाव के सभी दावेदार भी मान रहे है।  महगाव से आम चुनाव मे टिकिट मांगने वालो की लंबी कतार होती है लेकिन इस उप चुनाव मे ठीक उसी तरह सारे दावेदार शांत बेठे है।  जिस तरह सहानुभूति चुनाव मे कोई आगे मेदान मे नही आता, लेकिन यह नेता तो मौके की नजाकत भाप कर अपनी रणनीति का खेल खेलते है , पर वह निष्ठावान कार्यकर्ता क्या करे।  

जिसने 2018 के आम विधान सभा चुनाव मे थप्पड़ , गाली और गोली दोनों ही खाई थी। अब पार्टी निष्ठा के खातिर उन्ही की जयकार बोलना पड़ेगी, हर गाव मे दो पक्ष होते है अब ये दोनों पक्षो का क्या एका होना संभव है। जबकि पंचायत चुनाव निकट भविश्य मे होना ही है। यह भाजपा के लिए बड़ी चुनोति हो सकती है। महगाव मे जनता ही लड़ती है चुनाव महगाव विधानसभा के अध्ययन से एक और तथ्य निकलकर कर सामने आया है। यह जनता चुनाव मे सीधे रुचि लेती है, कर्मठ कार्यकर्ताओ से पोलिंग के दिन कह दिया जाता है।  अपना बोट डालो और घर सो जाओ ,यही कारण है कि एसे प्रत्यासी चुनकर विधान सभा मे पहुचे। जिनकी जीत का अंदाजा राजनीति के बड़े बड़े विश्लेसक भी मतगणना के पहले तक नही लगा पाये थे। यदि पुराने परिणामो पर नजर डाले तो 1993 मे बसपा से डॉ नरेश सिंह गुर्जर विधायक चुने गए थे जो राजनीति व समाज दोनों के लिए अपरिचित थे। लेकिन दिग्गजों को हराकर विजयी हुये ,1998 के परिणाम।  

भाजपा कार्यकर्ता मे समाहित करने की है अपार क्षमता : गुर्जर

भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष नाथू सिंह गुर्जर उप चुनाव मे पार्टी की जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है। उनका मानना है कि काँग्रेस के सवा साल के कार्यकाल से जनता उकता गई है। वही काँग्रेस शासन मे हुये अत्याचार से कार्यकर्ता परेशान है।  प्रत्याशी कोई भी रहे भाजपा की जीत सुनिश्चित है, जब उनसे पूछा कि जिस काँग्रेस शासन मे कार्यकर्ताओ के साथ अन्याय अत्याचार हुआ अब यदि वे ही विधायक भाजपा के उम्मीदवार बनते है तो उनके पक्ष मे कार्यकर्ता केसे काम करेगा। इस सवाल के जबाब मे जिला अध्यक्ष नाथू सिंह गुर्जर का कहना था कि भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता समरसता वान है।  

भाजपा में विरोधियो को समाहित करने की अपार क्षमता है, उन्होने पूर्व सांसद डॉ भागीरथ का उदाहरण देते हुये कहा कि वे काँग्रेस छोडकर भाजपा मे आए और कार्यकर्ताओ ने उनको स्वीकार कर ससद मे चुनाव जिताकर भेजा था। पार्टी मे शामिल होने के बाद कार्यकर्ता दुर्भाव से नही निष्ठा से प्रत्यासी के पक्ष मे कार्य करता है।  

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