वेबडेस्क।ब्रहमांड में प्राणवायु ,जल एवंपोषक तत्वों से समृद्धपृथ्वी ही एक मात्र ज्ञात ग्रह हैजहाँअनेकानेक रूपों में जैविक क्रियाओं तथा प्रक्रियाओं का संचालन एवं संधारण जीवन की उत्पति के समय से हीसतत रूप से निरंतर है | हमारे इस "गृह- ग्रह"परप्रत्येक प्राणी को उसकी प्रकृति के अनुरूप स्वस्थ जीवन का नैसर्गिक अधिकार प्राप्त है | पौराणिक मान्यताओं तथा आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों पर आधारित,अध्ययनों एवं अविष्कारों के अनुसार गत लाखों वर्षों की समयावधि केविभिन कालखंडों मेंघटित प्राकृतिक आपदाओं सेग्रस्त तथा मानव जन्य कृत्रिम प्रतिघातोंके संकटों से घिरी हुई वसुंधराधरा पर,गत शताब्दी तक जैविक स्थिरजैवता(Sustainable Life) का स्तर लगभग संरक्षित रहा है |
परन्तु वर्तमान शताब्दी में डिजिटल क्रांति से प्रभावित तथा"कृत्रिम बुद्दिमानता(Artificial Intelligence)" के कौशल्य तंत्र से समृद्ध,आज का विश्व भौतिक सम्पन्नता के वरदान के साथ, जैविक अस्तित्व के आसन्न संकट की विरोधाभासी परिस्तिथि से जूझ रहा है |
पर्यावरण प्रदूषण तथा सामजिक विषमताओं से आहत वात्सल्यमयी वसुंधरा -
पर आज व्याप्त गंभीर मानवीय तनाव ,विशेष रूप से अति चिंताजनक है | इन जीवनघाती संकटों से जीवनदायीपृथ्वी को मुक्त कराने सेउदेश्य सेसितम्बर2000 में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में 189 देशों के सम्मेलन में" मिलेनियम डवलपमेंट गोल्स" के अधीन आठ सूत्री लक्ष्यों का निर्धारण कियागया | इन लक्षों की पूर्ति हेतु,विश्व स्तर परसर्वांगीण विकास की स्थिरता के लिए मानवीय मूल्यों के अधीन प्रत्येक व्यक्ति कीआहार,आवास,वस्त्र,स्वास्थ्य,शिक्षा,पर्यावरण, लैंगिक समानता तथा जीवन शैली संबंधी न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति होना अति आवशक है | तदनुसार,जैविक स्थिरता को अक्षुण्ण रखने के लिए वैश्विक, राष्ट्रीय,सामजिक तथा व्यकिगत स्तर पर कार्यरत शासकीयतथा स्वयंसेवी सामजिक संघटनों का यह मूलभूत दायित्व है कि वे व्यक्तिको धर्म,जाति,वर्ग तथा आर्थिक एवं सामजिक भेदभाव के बिना उक्तसुविधाएं उपलब्ध कराएं| उक्त दायित्वों के क्रियान्वन में महिला स्वास्थ्य एवंबाल्य विकासकी निति का विशेष प्रावधान होना आवश्यक है | इस अति महत्वपूर्ण जीवनदायीदायित्व के बोध के प्रति उतरदायी संघठनों में चेतना जागृत करने तथा जन सामान्य में जागरूकता के प्रचार प्रसार के उदेश्य से विश्व स्वास्थ्य संघठन द्वारा वर्ष 2022 के वैश्विकस्वास्थ्य अभियान के लिए घोषित ध्येय वाक्य है "हमारा पृथ्वी ग्रह– हमारा स्वास्थ्य ( Our Planet – Our Health)"
विश्व स्वास्थ्य संगठन के "चार्टर" के अधीन स्वास्थ्य के अधिकार को मानवाधिकार के रूप में मान्य किया गया है ,परन्तु इस संगठन के सर्वे तथा अध्यन के अनुसार विश्व की जनसँख्या की लगभग आधी आबादी तक आज भी उचित एवं प्रभावी स्वास्थ्य सुविधा पहुंच नहीं सकी है | इकीस्वींशताब्दी के प्रारंभ के साथ स्वास्थ्य तथा उपचार के क्षेत्र में हुई "डिजिटल" क्रांति का लाभ मुख्य रूप से विकासशील देशों तक ही सीमित रहा है |एशिया, अफ्रिका तथा लैटिन अमेरिका के अनेक भागों में आधुनिक उपचार तकनीक उपलब्ध नहीं है | एक अन्य अध्यन के अनुसार प्रति वर्ष लगभग एक अरब लोग महंगे उपचार के कारण गरीबी रेखा के नीचे केस्तर पर पहुंच जाते हैं|
मानव जीवन से सम्बंधित इस जटिल विश्वव्यापी समस्या के निराकरण के उदेश्य से जिनेवा में वर्ष 1948 में "विश्व स्वास्थ संगठन" का गठन किया गया | संयुक्त राष्ट्र संघ के अधीन प्रायोजित एवं संचालित इस अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन द्वरा "7 अप्रैल" की तिथि को "विश्व स्वास्थ्य दिवस" घोषित किया गया | तदनुसार वर्ष 1950 से प्रति वर्ष सात अप्रैल के दिन विश्व के 193 देशों में अंतर्राष्ट्रीय अभियान के रूप में शासकीय संस्थाओं तथा स्वैच्छिक सामाजिक संगठनों की सहभागिता के साथ स्वास्थ्य जागरूकता के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है | इन आयोजनों के माध्यम से बदलती परिस्थितियों के अनुसार स्वास्थ्य संवर्धन तथा रोगों की रोक थाम से सम्बंधित योजनाओं की समीक्षा तथा नए उपायों पर परिचर्चा से स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं जन सामान्य में संवाद का विशेष अवसर प्राप्त होता है | विश्व स्वास्थ्य संगठन की परिभाषा के अनुसार स्वास्थ्य से सम्बंधित इस धारणा का अर्थ है आवश्यतानुसार उचित समय पर जन साधारण को उसकी आर्थिक स्तिथि के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्राप्त होना चाहिए |लक्षपूर्ति के लिए विश्व स्वास्थय संगठन ने विश्व के सभी देशों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर आपसी सहयोग तथा करने तथा मानक स्थापित करने के लिए निम्नानुसार उदेश्यों के साथ दिशा निर्देश प्रस्तावित किये हैं :
- 1. प्राथमिक सेवाओं का विकास एवं विस्तार .
- 2. आधुनिक जीवन शैली जन्य रोगों प्रति जन जागरण .
- 3. रोगों के रोकथाम के लिए जन सामान्य को जानकारी प्रदान करना.
- 4. संभावित रोगियों को जांच के लिए प्रोत्साहित करना .
- 5. सामान्य स्वास्थ्य के प्रति स्व- सेवा की भवना जागृत करना .
- 6. संक्रामक रोगों के प्रति रोगियों एवं परिजनों को सचेत करना .
- 7. स्वस्थ्य सेवाओं तथा परियोजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए शासकीय संस्थाओं के उतर्दायित्वों हेतु दिशा निर्देश निर्धारित करना.
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
-वृह्र्दारणय उपनिषद