World Sickle Cell Day: सिकल सेल एनीमिया जनजाति समाज के लिए एक अभिशाप

भारत देश में सिकल सेल एनीमिया का पहला मामला वर्ष 1952 में सामने आया

Update: 2023-06-19 07:31 GMT

वेबडेस्क। सिकल सेल एनीमिया  रोग देश की  भावी पीढ़ी को अकाल मौत  के  दरवाजे पर खड़ा कर देने वाला अनुवांशिक रोग है। आमतौर पर गैर आदिवासी समूहों की तुलना में जनजाति आबादी के बीच सिकल सेल रोग अत्यधिक  है । पीढी दर पीढी  फैलने वाला यह  रोग जनजाति समाज के लिए एक  अभिशाप है। शोध आधारित आंकड़ों को देखें तो  भारत में अनुमानित 3 प्रतिशत आदिवासी आबादी  सिकल सेल एनीमिया से  ग्रसित है जबकि  पूरे देश के  जनजाति लोगों की स्क्रीनिग होना  अभी बाकी है ।  सन 1912 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने सिकल सेल एनीमिया बीमारी को एक घातक अनुवांशिक रोग माना। इस रोग से प्रभावित देशों में भारत ,दक्षिणी यूरोप, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका ,नाइजीरिया तथा युगांडा मुख्य है। यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में हर साल सिकल सेल एनीमिया वाले लगभग 44 हजार बच्चे पैदा होते हैं ।

भारत देश में सिकल सेल एनीमिया का पहला मामला वर्ष 1952 में सामने आया और यदि मध्यप्रदेश की बात करें तो 1984 में पहली बार आईसीएमआर जबलपुर के द्वारा मध्य प्रदेश के नर्मदा तटो  पर स्थित जनजाति बाहुल्य जिलों को रेड जोन में शामिल कर  सिकल सेल एनीमिया रोग की  गंभीर  अवस्था को बताया गया।  आईसीएमआर सर्वे 1989 के अनुसार 20% सिकल सेल से पीड़ित बच्चों की मृत्यु 2 वर्ष के अंदर हो जाती है , 30% सिकलसेल से पीड़ित जनजाति समुदाय के बच्चों की मृत्यु वयस्क होने से पहले हो जाती है यदि उपयुक्त हस्तक्षेप ना किए गए तो अनुवांशिक बीमारी होने के कारण सिकल सेल के रोगियों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। भारत में सिकलसेल रोगियों की औसत आयु 40 से 45 वर्ष बताया गया। इस रोग की भयावहता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 19 जून को विश्व सिकलसेल दिवस मनाने का फैसला लिया। 

सरकार के प्रयास:-

वर्तमान सरकार ने समझा जनजाति समाज के उस दर्द को ,उस पीड़ा को जिसे केवल माता-पिता या स्वयं रोगी ही समझ सकता है सैकड़ों सालों से आदिवासी की न जाने कितनी पीढ़ियां इस असहनीय दर्द को सहते हुए इलाज के अभाव में मृत्यु के काल में समा गई ।   ऐसा रोग जिसे भारत का राजपत्र 2018 में सिकल सेल एनीमिया गंभीर रोगियों को दिव्यांगता की श्रेणी में रखा गया। सिकल सेल एनीमिया को  वर्ष 2047 तक जड़ मूल से समाप्त करने का संकल्प लिया देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने  जिन्होंने 15 नवंबर 2021 को   सिकल सेल एनीमिया निर्मूलन अभियान के पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ  किया जिसमे जनजाति   बाहुल्य अलीराजपुर और झाबुआ जिला को लिया गया। द्वितीय चरण का शुभारंभ  मान राज्यपाल महोदय द्वारा  30 मई 2022 को मध्यप्रदेश के खंडवा जिले से किया गया  जिसमें  प्रदेश के 18 जनजाति बाहुल्य जिलों को शामिल किया गया। जिसकी मॉनिटरिंग का कार्य  जनजतीय प्रकोष्ठ कर रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन,लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग , के अंतर्गत राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन का गठन जून 2021में किया गया तथा जुलाई 2022 में हीमोग्लोबिनोपैथी (सिकल सेल एनीमिया एवं थैलेसीमिया) के निदान कार्यक्रम की नवीन योजना 9585 स्वीकृत की गई। समाज में  रोग के प्रति जागरूकता लाने  हेतु सरकार  के प्रयासों से ही विगत दो वर्षो से 19 जून विश्व सिकल सेल दिवस मनाया जा रहा हैं। केन्द्र सरकार द्वारा 2023- 24 में सिकल सेल एनीमिया की स्क्रीनिंग के लिए वित्तीय बजट में दो हजार करोड़ रुपए का प्रावधान रखा । विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर  27 जून 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी "सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (2047) "का शंखनाद मध्यप्रदेश के जनजाति बाहुल्य जिला शहडोल से करेंगे।

डॉ दीपमाला रावत

विषय विशेषज्ञ

जनजातीय प्रकोष्ठ राजभवन, भोपाल

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