प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात के सौवें संस्करण प्रसारण पर विशेष
दिनेश पाठक
वेबडेस्क। मई जून की तपती गर्मी के महीनों में आती जाती रेल गाड़ियों के यात्रियों और स्टेशन पर आने वाले दूसरे लोगों को पानी पिलाने वाली एक संस्था के साथ जब नगर की एक वयोवृद्ध 90 वर्षीय माताजी के सहयोग की खबर मोदी जी के संज्ञान में आई तो वे इस प्रेरणादायक बात को अपने मन की बात कार्यक्रम में शामिल करना नहीं भूले।कितनी बड़ी बात है,इतने विशाल देश . . . दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री द्वारा इतनी छोटी लेकिन जन सेवा की भावना से जुड़ी बड़ी मिसाल वाली, प्रेरणाप्रद बात को अपने मन की बात से जोड़कर जन की बात बनाना ?
'मन की बात' दरअसल जन-जन की बात है, क्योंकि नरेंद्र मोदी जी इसमें देश की चारों दिशाओं के लोगों से जुड़े मुद्दों के साथ साथ जीवन के हर एक आयाम को लेकर बात करते हैं।इनमें स्वक्षता,नारीशक्ति,कुपोषण,शिक्षा, पर्यावरण,स्वास्थ्य,परीक्षा,लघुउद्योग,जल संरक्षण,स्व सहायता समूह यानी समाज के दैहिक,मानसिक नैतिक,आर्थिक, शैक्षणिक, व्यवसायिक,खानपान,पर्यावरणीय समस्त आयाम सम्मिलित हैं ।
प्रधानमंत्री का कहना है कि,"यह कार्यक्रम मेरे लिए 130 करोड़ देशवासियों से जुड़ने का एक विशेष माध्यम है। हर एपिसोड से पहले, गांव-शहरों से आए ढ़ेर सारे पत्रों को पढ़ना, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के ई मेल देखना, ऑडियो मैसेज को सुनना,यह सब मेरे लिए एक आध्यात्मिक अनुभव की तरह होता है।"
खास बात तो यह है कि इतने बड़े देश का प्रधानमंत्री जिस तरह से आमजन से जुड़े हुए छोटे-छोटे मुद्दों को अपने मन में विचार कर उसे जन-जन तक पहुंचाने का निर्णय करता है,वह अकल्पनीय है।प्रसारण में नरेंद्र मोदी जी की सहज सरल शैली आम आदमी को अपने बीच के किसी बड़े बुजुर्ग की बात जैसी लगती है, इससे उसका उत्साहवर्धन होता है और आगे बड़ने की प्रेरणा भी मिलती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम, मन की बात को देश के 100 करोड़ लोग कम से कम एक बार सुन चुके हैं साथ ही 23 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने इसे नियमित रूप से सुना अथवा देखा है।भारत के लोकप्रसारक' प्रसार भारती' की ओर से भारतीय प्रबंधन संस्थान रोहतक के सहयोग से कुछ दिनों पूर्व किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
इस सर्वे के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंदी में इसके श्रोता जहां 65 प्रतिशत हैं वहीं 18 प्रतिशत लोग अंग्रेजी में यह कार्यक्रम सुनते हैं।दस हजार से ज्यादा लोगों पर किए गए इस अध्यन से यह तथ्य भी उभर कर आया कि लगभग 73 प्रतिशत लोग सरकार के कामकाज और देश की प्रगति के प्रति आशावादी हैं। इसके असर की बात करने पर 55 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे इस कार्यक्रम को सुनने के बाद देश और समाज के प्रति पहले से कहीं अधिक जिम्मेदार हो गए हैं। और उनमें सरकार के प्रति सकारात्मक रुख पनपा है।58 प्रतिशत लोग यह भी मानते हैं कि मन की बात कार्यक्रम का उनकी जीवन शैली पर भी असर हुआ है और अब वे बेहतर ज़िंदगी जी रहे हैं।
22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा मन की बात कार्यक्रम को 11 विदेशी भाषाओं में ब्रॉडकॉस्ट किया जाता है।इनमें फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली शामिल हैं।इसका प्रसारण देश भर में आकाशवाणी के 500 से अधिक केंद्रों एवं दूरदर्शन द्वारा किया जा रहा है।
देश के कोने कोने में की जा रही छोटी से छोटी और अभिनव पहल का जिक्र मोदी जी द्वारा मन की बात में करने से उसे एक जन स्वीकृति मिलती है।मन की बात का यह मंच आने वाले समय में समावेशी भारत की परिकल्पना को साकार करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा यह निश्चित है।
प्रत्येक कार्यक्रम में श्रोताओं को अत्यंत व्यावहारिक और उपयोगी जानकारी तथा सुझाव मा. प्रधानमंत्री जी की ओर से दिए जाते हैं और उनका स्पष्ट प्रभाव भी कुछ ही दिनों में परिलक्षित होने लगता है। उदाहरण के लिए, मन की बात के 3अक्टूबर 2014के पहले प्रोग्राम से एक दिन पहले ही 2 अक्टूबर 2014 को आरंभ किए गए ' स्वच्छ भारत अभियान ' के संदर्भ में गंदगी से मुक्ति का संकल्प लेने का आह्वान मा. प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में किया था और आज साढ़े आठ साल बाद हम दावे के साथ यह कह सकते हैं की संपूर्ण राष्ट्र में सफाई और स्वच्छता के प्रति एक पुख़्ता सिस्टम विकसित हुआ है, ना केवल सिस्टम विकसित हुआ है बल्कि आम जन में साफ सफाई और स्वच्छता के प्रति जागरूकता एवं रुझान भी बढ़ा है।
2015 के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के द्वारा फिजिकली चैलेंज्ड लोगों का ज़िक्र करते हुए कहा गया, "मैंने सोचा कि जब हम ऐसे लोगों को देखते हैं जिनमें कोई शारीरिक कमी होती है या उनके कुछ अंग ठीक से काम नहीं कर पाते हैं तो विकलांग श्रेणी में रखते हैं। लेकिन जब उनसे बातचीत करते हैं या फिर उनको काम करते हुए देखते हैं तो हम यह पाते हैं कि भगवान ने उन्हें कुछ अलग दिव्य क्षमताएं भी प्रदान की हुई हैं और तब हम उनकी प्रतिभा से रूबरू होते हैं। ऐसी स्थिति में हम उनके लिए विकलांग की बजाए दिव्यांग शब्द का प्रयोग क्यों नहीं करें।"प्रधानमंत्री के उस रेडियो संबोधन के बाद से देश के सभी क्षेत्रों में दिव्यांगों के प्रति धारणा में साफ परिवर्तन दिखाई दे रहा है वह चाहे मीडिया हो, शिक्षा हो, खेल हो,संगठन हो अथवा आम जनता हो।
3 अक्टूबर 2014 को प्रारंभ मन की बात कार्यक्रम हर महीने के अंतिम रविवार को सुबह 11 बजे प्रसारित किया जाता है। यह कार्यक्रम 30 अप्रैल 2023 को अपने 100 एपिसोड पूरे कर रहा है।इसको लेकर प्रधान मंत्री ने लोगों से कहा- "आप सभी के साथ जुड़कर मुझे बहुत खुशी हो रही है। सेंचुरी की तरफ बढ़ते इस सफर में मन की बात को आप सभी ने जनभागीदारी की अभिव्यक्ति का अद्भुत प्लेटफॉर्म बना दिया है। आप अपने मन की शक्ति तो जानते ही हैं, वैसे ही समाज की शक्ति से कैसे देश की शक्ति बढ़ती है।ये हमने ‘मन की बात’केअलग-अलग एपिसोड में देखा और समझा है।"
(वरिष्ठ स्तंभकार एवं कुलसचिव राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर)