उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट तेज
चर्चा है कि उपमुख्यमंत्री के पद पर भी फेरबदल हो सकता है। वहीं कुछ लापरवाह मंत्रियों के पर कतरने के साथ पहली बार जीतकर आए कुछ माननीयों को मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है।
लखनऊ/वाराणसी (अतुल कुमार सिंह): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना काल में मचे हाहाकार के बीच अपने संसदीय क्षेत्र में कोरोना प्रबंधन के काशी मॉडल की जमकर तारीफ कर दी। एमएलसी अरविंद कुमार शर्मा को काशी की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। तारीफ, उसके बाद 24 घंटे के अंदर अरविंद शर्मा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात होते ही यूपी की सियासत में एक बार फिर मंत्रीमंडल में फेरबदल की बातें होनेे लगीं हैं। चर्चा है कि उपमुख्यमंत्री के पद पर भी फेरबदल हो सकता है। वहीं कुछ लापरवाह मंत्रियों के पर कतरने के साथ पहली बार जीतकर आए कुछ माननीयों को मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है। कुल मिलाकर आठ से दस मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है।
उत्तर प्रदेश में एक बार पुनः मंत्रिमंडल विस्तार की खबरों से कुछ माननीयों की सांसें इस कदर अटक गई हैं कि उन्हें भी ऑक्सीजन का सिलेंडर सपने में दिखने लगा है। दूसरी तरफ, मंत्री पद की आस लगाए बैठे विधायकों में अच्छे दिन के लक्षण दिखने लगे हैं। देखते हैं, आगे क्या होता है, क्योंकि कई बार सत्ता के गलियारों में मंत्रीमंडल विस्तार की आग सुलगी, लेकिन सिर्फ धुआं दिखायी दिया और मामला शांत पड़ गया। खास बात यह है कि अब विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से भी कम का समय बचा है। चर्चा है कि कोविड प्रबंधन में निजी एवं व्यक्तिगत प्रयास कर चर्चा में आए कुछ विधायकों की किस्मत का ताला खुल सकता है।
चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को खुले तौर पर कोविड संक्रमण के नियंत्रण को लेकर काशी मॉडल की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि काशी मॉडल न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में एक रोल मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। यह एक महत्वपूर्ण संकेत है। वजह, काशी एवं पूर्वांचल के आस-पास कोविड नियंत्रण से जुड़ी रणनीति बनाने और उसे अमली जामा पहनाने का नेतृत्व एमएलसी अरविंद कुमार शर्मा कर रहे हैं। अरविंद शर्मा ने शुक्रवार को ही नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उसके बाद अगले ही दिन शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने लखनऊ पहुंच गए। यहां मुख्यमंत्री योगी के अलावा चुनिंदा नौकरशाहों से मुलाकात के बाद अरविंद शर्मा पुनः फिर दिल्ली कूचकर गए। अटकलों के बाद सियासी पारा अचानक गर्म हो गया है।
श्री शर्मा न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसेमंद हैं, बल्कि उन्होंने अपनी कर्मठता के बल पर कोरोना प्रबंधन का काशी मॉडल खड़ा किया है। उन्होंने अपने नौकरशाही के अनुभव और सूझबूझ के चलते काशी मॉडल के माध्यम से अपनी छाप छोड़ने में भी सफल रहे हैं। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार होने की स्थिति में उनके शामिल होने की अटकलें सबसे अधिक लगाई जा रही हैं। पिछले डेढ़ वर्ष के भीतर तीन मंत्रियों की मृत्यु से मंत्रिमंडल का संतुलन भी आनुपातिक रूप से गड़बड़ा गया है। चेतन चौहान, कमल रानी वरुण और विजय कुमार कश्यप की मृत्यु से खाली स्थान भरने के साथ अन्य रिक्तियां विस्तार का पूरा अवसर उपलब्ध करा रही हैं।
देखने की बात यह है कि इस बार वाकई मंत्रीमंडल में विस्तार या फेरबदल होता है या फिर मामला शांत पड़ जाएगा। इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री येागी आदित्यनाथ सहित कुछ सांसद सक्रिय रहे, बाकी कहां लापता हैं, किसी को नहीं मालूम। ज्ञता उन सभी माननीयों का बेसब्री से इंतजार कर रही है, जिन्होंने लंबे-चौड़े वादे दिखाकर सत्ता पाई और काम कम भगोने में हाथ घुसेड़-घुसेड़ कर मलाई खाई। चर्चा यहां तक है कि अरविंद शर्मा को महत्वपूर्ण विभाग का जिम्मा सौंपा जाना है। संगठन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि परिवर्तन की जद में उप मुख्यमंत्री के पद भी आ सकता है। एक चर्चा यह भी है कि एमएलसी एवं पूर्व आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को उपमुख्यमंत्री या फिर गृह मंत्री की कुर्सी मिल सकती है।
मंत्रिमंडल विस्तार में खत्म हो सकता है अवध प्रांत का सूखा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मौजूदा मंत्रिपरिषद में पूर्वांचल, पश्चिमांचल एवं बुंदेलखंड की अपेक्षा अवध क्षेत्र को उपेक्षा हासिल हुई है। अवध प्रांत के 14 जनपदों में से आठ अयोध्या, बलरामपुर, रायबरेली, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, बाराबंकी एवं सुलतानपुर का प्रतिनिधित्व मंत्रिपरिषद में बिलकुल नहीं है। सिर्फ छह जनपद प्रतापगढ़, बहराइच, गोण्डा, लखनऊ, अमेठी एवं उन्नाव को जगह दी गई है।
अयोध्या जनपद से सदर विधयक वेद प्रकाश गुप्ता या रुदौली विधायक रामचंद्र यादव मंत्री बनाए जा सकते हैं। बलरामपुर जनपद से गैसड़ी विधायक शैलेश सिंह शैलू मंत्री बनने के उम्मीदवार हो सकते हैं। वहीं रायबरेली जनपद से सरेनी विधायक धीरेन्द्र प्रताप सिंह या एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह मंत्री बनाए जा सकते हैं। हरदोई जनपद से सवायजपुर विधायक माधवेन्द्र प्रताप सिंह रानू या सदर विधायक नितिन अग्रवाल मंत्री बन सकते हैं।
सीतापुर जनपद से सेवता विधायक ज्ञान तिवारी या बिसवां विधायक महेंद्र यादव भी इस सूची में शामिल हो सकते हैं। लखीमपुर जनपद से मोहम्मदी विधायक लोकेन्द्र प्रताप सिंह का नाम भी इसमें शामिल हो सकता है। सुल्तानपुर जनपद से लम्भुआ विधायक देवमणि द्विवेदी को मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सकता है। बाराबंकी जनपद में रामनगर बिधायक शरद अवस्थी भी मंत्री बनाए जा सकते हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में इस बार संगठन की पृष्ठभूमि से विधायक बने लोगों को प्राथमिकता दी जा सकती है।