नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में बिचौलिये की जिम्मेदारी निभाने वाले क्रिश्चियन मिशेल ने दुबई के न्यायालय में कई पैतरे दिखाए लेकिन न्यायालय के सामने उसकी एक नहीं चली। मिशेल के वकील ने सबसे पहले कोर्ट को कहा कि प्रत्यर्पण के बाद भारत में उसे अमानवीय हालातों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही उसे भारतीय राजनीति का शिकार बनना पड़ेगा। लेकिन कोर्ट ने कहा कि मिशेल के प्रत्यर्पण का आग्रह राजनीति, धर्म व जाति भेदभाव से प्रेरित नहीं है। बल्कि भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण का आग्रह उसकी अपराध में सहभागिता के आधार पर की है।
फिर मिशेल ने कोर्ट को दूसरा पैतरा दिखाया। उनके वकील ने कहा कि मामला राजनीति से प्रेरित है। अपने दावे के समर्थन में उसके वकील ने कहा कि मिशेल जब भारतीय अधिकारियों से मिला था उस वक्त वाहिद नाम का सुरक्षा कर्मी भी मौजूद था। इसलिए उसे बुलाया जाए और उसके बयान को दर्ज किया जाए। हालांकि कोर्ट ने कहा कि अभी तक मिशेल ने वाहिद का अता-पता उपलब्ध नहीं करवाया है। इसलिए वाहिद को नहीं बुलवाया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि दुबई सरकार ने कोर्ट से यह बताने का आग्रह किया था कि कानून के मुताबिक मिशेल के ब्रिटिश नागरिक होने के बावजूद का प्रत्यर्पण संभव है या नहीं। कोर्ट ने इसके जबाव में कहा कि उसका प्रत्यर्पण संभव है।
हालांकि मिशेल ने प्रत्यर्पण का विरोध करते हुए कहा कि उसे ब्रिटिश न्यायालय व स्विश ट्रिबुनल ने इस मामले में मुक्त कर दिया है। लेकिन दुबई कोर्ट ने कहा कि इटली के कोर्ट ने उसे इस मामले में दोषी पाया है। दुबई के अभियोजन पक्ष ने मिशेल के प्रत्यर्पण के लिए वहां 2006 में लागू किए गए संघीय कानून की धारा-39 के तहत मांगा था। यह कानून अंतर राष्ट्रीय कानून के मद्देनजर लागू किया गया है।
उल्लेखनीय है कि अभियोजन ने अपनी दलील में कहा कि इस कानून के प्रावधान के मुताबिक दो परिस्थितियों में किसी अपराधी का प्रत्यर्पण संभव है। पहली शर्त के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अगर कोई व्यक्ति आग्रह करने वाले देश व सुनवाई करने वाले देश में किसी अपराध का अभियुक्त हो और इस अपराध के लिए एक साल या इससे अधिक अवधि के लिए सजा का प्रावधान हो। वहीं, दूसरी परिस्थिति में अगर आग्रह करने वाले देश में अभियुक्त को कम से कम छह महीने की सजा सुना दी गई हो। मिशेल के मामले में भारत में उसके खिलाफ भादवि की धारा-120,415बी व 420 लागू की गई है। इसमें धारा-420 में 10 साल की सजा प्रावधान है। साथ ही भारत व दुबई दोनों जगहों में मिशेल के अपराध को संज्ञैय माना गया है। दुबई में संगत अपराध की धारा-423 है और इसके लिए अधिकतम पांच साल की सजा प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि इसी आधार पर दुबई के कोर्ट ने कहा कि मिशेल का मामला प्रत्यर्पण के सभी शर्तों को पूरा करता है।