भोपाल। देश में आम आदमी की यात्रा का सबसे बड़ा और कम खर्चीला साधन रेल है। इसका लगातार विस्तार भी हो रहा है। मगर यह तथ्य चौंकाने वाला है कि संधारण (मेंटेनेंस) के चलते साल-दर-साल निरस्त होने वाली गाडिय़ों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बीते नौ माह में कुल 2251 रेलगाडिय़ा रद्द हो चुकी हैं। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए सामने आए तथ्य से पता चलता है कि देश में पांच साल और नौ माह में संधारण के चलते कुल 6531 रेलगाडिय़ों को रद्द किया गया। सबसे ज्यादा गाडिय़ां बीते नौ माह में रद्द हुईं।
इस अवधि में 2251 गाडिय़ां रद्द हुई। अगर इसे पूरे साल में परिवर्तित करें तो यह आंकड़ा लगभग 3000 के करीब होगा। मध्य प्रदेश के नीमच जिले के सूचना के अधिकार कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रेल मंत्रालय से जानना चाहा था कि बीते पांच साल नौ माह में कुल कितनी यात्री गाडिय़ां निरस्त की गईं। मंत्रालय की ओर से दिए गए ब्यौरे में बताया गया है कि इस अवधि में रेल लाइन के उन्नयन, प्लेटफार्म के उन्नयन, इसके अलावा रेल पटरी सहित अन्य मरम्मत कार्य के कारण 6531 गाडिय़ां रद्द की गईं।
इनमें पैसेंजर, मेल, एक्सप्रेस और सुपरफास्ट आदि गाडिय़ां शािमल हैं। गौड़ ने सूचना के अधिकार के जरिए गाडिय़ों के निरस्त किए जाने के बारे में जानकारी मांगी थी। उन्हें यह जानकारी रेल मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने पांच दिसंबर 2019 को उपलब्ध कराई है। इसमें बताया गया है कि मेंटेनेंस के कारण वर्ष 2014 में कुल 101 ट्रेने निरस्त हुई थीं, वहीं वर्ष 2015 में 189, वर्ष 2016 में 294, वर्ष 2017 में 829, वर्ष 2018 में रिकॉर्ड 2867 एवं वर्ष 2019 में सितंबर तक की अवधि के दौरान कुल 2251 ट्रेनें निरस्त की गई हैं।
रेल मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2014 में मेंटेनेंस के कारण मात्र 101 ट्रेनें निरस्त हुई थीं। वहीं वर्ष 2018 में निरस्त हुई गाडिय़ों की संख्या 2867 हो गई और वर्ष 2019 के नौ माह में यह संख्या 2251 हो गई। यदि इसे पूरे 12 माह अर्थात साल में बदला जाए तो यह आंकड़ा 3000 तक पहुंच जाता है।
विगत वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि मेंटेनेंस के कारण निरस्त होने वाली ट्रेनों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। आरटीआई के जरिए यह भी पूछा गया था कि मेंटेनेंस के चलते ये ट्रेनें कितने दिनों के लिए निरस्त की गई हैं? लेकिन इस सवाल का जवाब अभी नहीं मिला है। रेल मंत्रालय ने अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि निरस्त हुई ट्रेनों के मामले में श्रेणीवार गाडिय़ों का ब्यौरा नहीं रखा जाता है। आशय यह है कि पैसेंजर सहित अन्य श्रेणी की कितनी गाडिय़ां रद्द हुईं, इसका ब्यौरा नहीं है।