नई दिल्ली। दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराने के कुछ दिन बाद ही मामला वापस लेने की अर्जी लगाने या आरोपी को बचाने के लिए बयान बदलने वालों पर सर्वोच्च न्यायालय ने सख्ती दिखाई है। शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि दुष्कर्म के आरोपी को बचाने के लिए अगर पीडि़त पक्ष उससे समझौता करता है या बयान से पलटता है तो उल्टा उसी के ऊपर प्रकरण दर्ज किया जाएगा। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि उल्टा मुकदमा करने की स्थिति तभी बनेगी जब आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत होंगे। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई,न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि दुष्कर्म पीडि़ता के मेडिकल रिपोर्ट में भी अगर आरोपी को क्लीनचिट दे दी जाती है, लेकिन अन्य सबूतों के आधार पर न्यायालय को लगता है कि दुष्कर्म हुआ था। इसके बाद भी पीडि़ता आरोपी को बचाने की कोशिश करती है तो न्यायालय पीडि़ता के ऊपर ही मुकदमा चलाने का आदेश दे सकता है।