आबकारी सचिव ने ली बैठक: कई पुलिस अधीक्षकों की हुई खिंचाई, प्रशासनिक गलियारों में उठने लगे सवाल

रायपुर। राज्य की आबकारी सचिव आर. संगीता की एक बैठक इन दिनों प्रशासनिक गलियारों में चर्चा में है। अप्रैल से लागू हो रही नई आबकारी नीति को लेकर हुई इस बैठक में विभागीय अफसरों के साथ ही संभाग आयुक्त, आईजी, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये शामिल हुए।
सूत्रों के अनुसार बैठक में कई जिलों के एसपी को आबकारी सचिव की नाराजगी का सामना करना पड़ा। प्रशासनिक गलियारे में आबकारी सचिव की नाराजगी से ज्यादा चर्चा कलेक्टर और एसपी की बैठक लिए जाने की है क्योंकि नियमानुसार कलेक्टर और एसपी की बैठक केवल मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ही बुला सकते हैं।
आबकारी सचिव ने बैठक के दौरान नई नीति के तहत शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने के साथ ही अन्य विषयों पर कलेक्टरों और एसपी से बात की। सूत्रों के अनुसार आबकारी सचिव ने कुछ जिलों में आबकारी अमला के साथ पुलिस वालों के दुव्र्यवहार की शिकायतों का जिक्र करते हुए नाराजगी जाहिर की। यह बैठक करीब डेढ़ घंटे चली।
प्रशासनिक गलियारे में प्रोटोकॉल पर उठ रहे सवाल
आबकारी सचिव की इस बैठक के बाद प्रोटोकॉल पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ अफसरों ने इस मामले में वरिष्ठ अफसरों से मौखिक शिकायत भी की है।दरअसल, नियमानुसार कोई प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव भी संभाग आयुक्त, आईजी, कलेक्टर और एसपी की बैठक नहीं ले सकते। बता दें कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान भी इस तरह का एक मामला सामने आया था।
कोविड के दौर में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कलेक्टरों की बैठक बुलाई थी। इस संबंध में उप मुख्यमंत्री के कार्यालय से सभी जिलों को सूचना भेज दी गई थी। बैठक के ठीक पहले मुख्य सचिव के कार्यालय से एक दिशा- निर्देश जारी किया गया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि सीएम और सीएस के अतिरिक्त कलेक्टरों की बैठक कोई नहीं ले सकता। इसके बाद सिंहदेव को अपनी बैठक रद्द करनी पड़ी थी।