History of Raja Bhoj: जानिए कौन थे राजा भोज जिनके नाम पर पड़ा भोपाल शहर का नाम
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल कहें या फिर झीलों की नगरी इसकी अपने आप में ही एक अलग खासियत है।;
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल कहें या फिर झीलों की नगरी इसकी अपने आप में ही एक अलग खासियत है। झीलों के आसपास बसा यह शहर भोजपाल से भोपाल कैसे बना और कौन थे वह राजा भोज जिनका नाम भोपाल के इतिहास में वर्णित है। क्या आपको जानकारी है अगर नहीं तो आइए जानते हैं भोपाल के इतिहास के बारे में।
कौन थे राजा भोज
इतिहास की माने तो राजा भोज मालवा रीजन के राजा थे, जिन्होंने 11वीं सदी में मालवा पर राज किया था और वीर ताकतवर राजाओं में गिने जाते थे। राजा भोज ने भोपाल की खोज की थी जहां शहर का नाम अपने ही नाम पर पहले भोजपाल रखा था जिसे बदलकर भोपाल कर दिया गया। मालवा रीजन की राजधानी पहले धार हुआ करती थी, जहां पर राजा भोज ने कई युद्ध लड़े और जीत भी हासिल की।
जिनमें से उनके दो युद्ध थे कल्चुरी नरेश गांगेय यानी “गंगू” से और चालुक्य नरेश तैलंग यानी ” तेली” से. जिसमे राजा भोज ने इन दोनों राजाओं को बहुत ही बुरी तरह से हरा दिया था। जिसके बाद से ये कहावत काफी प्रसिद्ध हो गई कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली।
राजा भोज ने भोपाल के उत्थान के लिए किए कई कार्य
राजा भोज ने जहां भोपाल शहर का नाम बदला उतना ही उन्होंने को चैनेलाइज या फिर जोड़ने के कार्य देखी है। इसकी बदौलत आज उनके द्वारा को दी गई नहरे और जोड़ी गई नदियों से कंजर्व वॉटर का लाभ आज भोपाल वासी उठा रहे हैं। इस नए बदलाव में गोपाल का बड़ा तालाब नाम भी आता है। राजा भोज ने भोजपुर में एक विशाल सरोवर का निर्माण कराया था, जिसका क्षेत्रफल 250 वर्ग मील से भी अधिक विस्तृत था। यह सरोवर पन्द्रहवीं शताब्दी तक विद्यमान था, जब उसके तटबन्धों को कुछ स्थानीय शासकों ने काट दिया।
राजा भोज को चेदि नरेश से मिली थी मात
राजा भोज अपने शासनकाल में कई सालों तक अच्छी तरह निवास करते थे लेकिन अंततः गुजरात के चालुक्य राजा तथा चेदि नरेश की संयुक्त सेनाओं ने लगभग 1060 ई. में भोज परमार को पराजित कर दिया। जहां इसके बाद ही उनका निधन हो गया था।