CJI चंद्रचूड़ के घर गणेश पूजा में शामिल हुए PM मोदी तो विपक्ष ने किया विरोध, BJP नेता जवाब देने मैदान में उतरे

Update: 2024-09-12 09:54 GMT

PM Modi Attended Ganesh Puja at CJI DY Chandrachud House

PM Modi Attended Ganesh Puja at CJI DY Chandrachud House : नई दिल्ली। बुधवार रात एक घटना क्रम हुआ। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के घर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गणेश पूजा में शामिल होने गए। इसकी तस्वीर पीएम मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर शेयर भी की। इस तस्वीर के सामने आते ही विपक्षी नेताओं की नींद उड़ गई। इसके बाद एक के बाद एक कई नेताओं ने डीवाई चंद्रचूड़ पर हमला बोल दिया। कुछ नेता तो उनके फैसलों पर भी संदेह करने लगे। आइए जानते हैं आखिर किस नेता ने क्या जहा और क्या रहा है।

संविधान के घर को आग लगी :

पीएम मोदी और डीवाई चंद्रचूड़ की मुलाकात पर सवाल उठाने वालों में सबसे आगे हैं शिव सेना (उद्धव) के संजय राउत। उन्होंने एक्स पर फोटो वायरल होते ही ट्वीट किया कि, "संविधान के घर को आग लगी घरके चिरागसे….EVM को क्लीन चीट, महाराष्ट्र में चल रही संविधान विरोधी सरकार के सुनवाई पर 3 सालसे तारीख पे तारीख, प. बंगाल बलात्कर मामले मे हस्तक्षेप लेकीन महाराष्ट्र रेप कांड का जिकर नहीं, दिल्ली मुख्यमंत्री केजरीवाल के bail पर तारीख पे तारीख, ये सब क्युं हो रहा है? क्रॉनॉलॉजी समज लिजीये…भारत माता की जय!!!!"

पीएम अब तक कितने घरों में गए हैं :

इतना ही नहीं मीडिया से चर्चा करते हुए भी संजय राउत ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि, "मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है कि पीएम अब तक कितने घरों में गए हैं...लेकिन पीएम सीजेआई के घर गए और उन्होंने साथ में आरती की...अगर संविधान का संरक्षक राजनेताओं से मिलता है, तो इससे लोगों के मन में संदेह पैदा हो सकता है। महाराष्ट्र का हमारा मामला...सीजेआई चंद्रचूड़ के समक्ष सुनवाई चल रही है, इसलिए हमें संदेह है कि हमें न्याय मिलेगा या नहीं, क्योंकि पीएम इस मामले में दूसरी पार्टी हैं। मुख्य न्यायाधीश को इस मामले से खुद को दूर कर लेना चाहिए, क्योंकि मामले में दूसरी पार्टी के साथ उनके संबंध खुले तौर पर दिखाई दे रहे हैं। क्या सीजेआई चंद्रचूड़ ऐसी स्थिति में हमें न्याय दे पाएंगे?"

न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता का पाठ : 

इसके बाद प्रशांत भूषण भी कहां इस मामले में चुप रहने वाले थे। उन्होंने एक्स पर न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता का पाठ पढ़ा दिया। उन्होंने लिखा, "एक न्यायाधीश को अपने कार्यालय की गरिमा के अनुरूप कुछ हद तक अलगाव का व्यवहार करना चाहिए। उनके द्वारा ऐसा कोई कार्य या चूक नहीं होनी चाहिए जो उनके उच्च पद और उस पद के सार्वजनिक सम्मान के लिए अशोभनीय हो।'' यह चौंकाने वाला है कि सीजेआई चंद्रचूड़ ने मोदी को एक निजी बैठक के लिए अपने आवास पर आने की अनुमति दी। यह न्यायपालिका के लिए बहुत बुरा संकेत है।"

इसके बाद लिस्ट तो बेहद लंबी है लेकिन अब जानिए बीजेपी और उसके समर्थंक दलों के नेताओं ने क्या कहा ?

राजनीति का बहुत ही निम्न स्तर :

शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने कहा कि, "मैं संजय राउत और अन्य लोगों को गणेशोत्सव के संबंध में बताना चाहूंगा, जो भारत और विशेष रूप से महाराष्ट्र की संस्कृति और परंपरा से अवगत नहीं हैं। गणेश चतुर्थी के दौरान, लोग अपने राजनीतिक विरोधियों के घर भी जाते हैं। मैं यह 20 वर्षों से कर रहा हूं...इसलिए, एक राजनीतिक बयान देना और प्रधानमंत्री द्वारा गणपति दर्शन के लिए सीजेआई के घर जाने का राजनीतिकरण करना, मुझे लगता है, राजनीति का बहुत ही निम्न स्तर है। कोई यह भी सवाल पूछ सकता है कि 2009 में, जब केजी बालाकृष्णन सीजेआई थे, उस समय वर्तमान पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने आवास पर एक इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें सीजेआई ने भाग लिया था। कोई तब भी सवाल पूछ सकता है?

भारतीय धर्मनिरपेक्षता की वास्तविक ताकत :

इसके बाद बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव ने कहा कि, "वही लोग जो इफ्तार में प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी की सराहना करते हैं और प्रोत्साहित करते हैं, जब वे प्रधान मंत्री मोदी को CJI डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर गणपति पूजन करते देखते हैं, तो उनकी हिम्मत टूट जाती है।भारत भर में करोड़ों भक्तों द्वारा पूजे जाने वाले देवताओं के समक्ष कार्यपालिका और न्यायपालिका द्वारा प्रार्थना करना भारतीय धर्मनिरपेक्षता की वास्तविक ताकत को दर्शाता है।"

अचानक मनमोहन सिंह ट्रेंड करने लगे :

अब सोशल मीडिया पर पर अचानक मनमोहन सिंह ट्रेंड करने लग गए। इसकी वजह है साल 2009 में, पीएम मनमोहन सिंह द्वारा अपने आवास पर बुलाई गई इफ्तार पार्टी। सोनिया गांधी से लेकर केंद्र सरकार के बड़े मंत्री तक सभी इस पार्टी में शामिल हुए थे। उस समय केजी बालाकृष्णन सीजेआई थे और वे भी इस इफ्तार पार्टी का हिस्सा बने थे।

बता दें कि, शक्तियों का बंटवारा संविधान का अहम हिस्सा है लेकिन ऐसा कहीं नहीं लिखा कि, देश के प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायधीश से मिल नहीं सकते या उनके साथ मंच साझा नहीं कर सकते। पूर्व में इलेक्टोरल बांड समेत कई ऐसी केस हैं जब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसलों पर रोक लगाई थी और विपक्ष ने खुद इन फैसलों का स्वागत किया था। ऐसे में मुख्य न्यायधीश के निर्णयों पर संदेह करना अच्छा आचरण नहीं।

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