Who was Ismail Haniyeh : जानिए इस्माइल हानिया के रेफ्यूजी कैंप के शरणार्थी से हमास चीफ बनने की पूरी कहानी
Who was Ismail Haniyeh : इस्माइल हानिया मोसाद के टॉप टारगेट में से एक था। उसके परिवार के कई लोग पहले ही मारे जा चुके थे।
Who was Ismail Haniyeh : साल 1962 में गाजा पट्टी (Gaza Strip) पर कई शरणार्थियों के रेफ्यूजी कैंप की भरमार थी। इन कैम्पस में रहने की कोई अच्छी व्यवस्था नहीं थी। युद्ध की त्रासदी से कई परिवार उजड़ चुके थे। जो बच गए वे जिंदा रहने के लिए इन कैम्प्स में जद्दोजहद कर रहे थे। ऐसे में एक रेफ्यूजी कैंप में जन्म हुआ इस्माइल हानिया अबू-अल-अब्द का। इस्माइल हानिया, मोसाद के टॉप टारगेट में से एक था। उसके परिवार के कई लोग पहले ही मारे जा चुके थे। अमेरिका द्वारा इस्माइल हानिया को आतंकवादी भी घोषित किया जा चुका था। आइए जानते हैं इस्माइल हानिया की रेफ्यूजी कैंप के शरणार्थी से हमास चीफ बनने तक की पूरी कहानी...।
इस्माइल हानिया का जन्म ऐसे समय में हुआ जब फिलिस्तीनी लोग रेफ्यूजी कैम्प में रहने के लिए मजबूर कर दिए गए थे। उसने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा चलाए जा रहे स्कूल में प्रारंभिक पढ़ाई की थी। 1981 में उसने इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ गाजा में एडमिशन लिया। यहां से उसने अरबी लिटरेचर की पढ़ाई की। इस्लामिक यूनिवर्सिटी में ही जाकर इस्माइल हानिया कुछ ऐसे लोगों से मिला जिसने उसे इजराइल के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दी।
इस्लामिक स्टूडेंट एसोसिएशन की स्थापना :
इस्माइल हानिया ने यूनिवर्सिटी में अपने साथ के लोगों के साथ मिलकर इस्लामिक स्टूडेंट एसोसिएशन की स्थापना की। इस एसोसिएशन के कई लोग हमास की नींव डालने के लिए जिम्मेदार थे। इस्लामिक स्टूडेंट एसोसिएशन के बारे में सबसे बड़ी बात यह है कि, यह मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़ा हुआ था। मुस्लिम ब्रदरहुड के द्वारा इस्लामिक स्टूडेंट एसोसिएशन और इस्माइल हानिया की पूरी मदद की जाती थी।
मुस्लिम ब्रदरहुड क्या है ?
इस्माइल हानिया की कहानी में आगे बढ़ने से पहले मुस्लिम ब्रदरहुड के बारे में भी जानना जरूरी है। अरबी भाषा में संगठन को 'अल इख़व़ान अल मुस्लिमून' कहते हैं। इसकी स्थापना साल 1928 में हसन अल बन्ना द्वारा मिस्र में की गई थी। हसन अल बन्ना इस्लाम के अध्यापक थे। इस संगठन की स्थापना के पीछे उद्देश्य बड़े स्तर पर इस्लामिक धार्मिक, राजनीतिक और समाजिक आंदोलन छेड़ना था। शरिया कानून की पैरवी करने वाले इस संगठन पर अरब देशों में आतंकवाद को बढ़ावा देने और युवाओं को कट्टरवादी बनाने का आरोप है। कहा जाता है कि, ओसामा बिन लादेन भी इसी संगठन से जुड़ा था।
अब लौटते हैं इस्माइल हानिया की कहानी पर:
इस्लामिक स्टूडेंट एसोसिएशन की स्थापना के बाद इस्माइल हानिया और मजबूत हो गया था। अब तक गाजा में इस्माइल जैसे कई लोग उभरने लगे थे जो इजराइल को चुनौती देने के लिए तैयार थे। साल 1987 में ऐसे ही लोगों ने मिलकर हमास नामक संगठन की स्थापना की। इसका उद्देश्य इजरायली प्रशासन के स्थान पर इस्लामिक शासन की स्थापना करना था। इस्माइल हानिया, हमास के फाउंडिंग मेंबर्स में से एक था। हमास की स्थापना के बाद इस्माइल हानिया एक ऐसी राह पर निकल गया था जिस पर चलकर वो मोसाद के हिट लिस्ट में शामिल हो गया।
तीन साल तक इजराइल की कैद में रहा हानिया :
हमास की स्थापना के बाद इजराइल ने इस्माइल हानिया समेत कई लोगों को कैद में रखा। 1989 में गिरफ्तार इस्माइल हानिया तीन साल तक इजराइल की कैद में रहा। इसके बाद उसे 'मार्ज-अल-ज़ुहुर' डिपोर्ट कर दिया गया। मार्ज-अल-ज़ुहुर इजराइल और लेबनान के बीच एक क्षेत्र है। यहां इस्माइल हनिया ने एक साल बिताया। इसके बाद इस्माइल हानिया गाजा लौटा और दोबारा हमास के लिए काम करने लगा।
अहमद यासीन का पर्सनल सेक्रेटरी :
हमास में इस्माइल हानिया का कद बढ़ता जा रहा था। उसे अहमद यासीन का करीबी माना जाता था। साल 1997 में उसे हमास आंदोलन के आध्यात्मिक नेता शेख अहमद यासीन का पर्सनल सेक्रेटरी बना दिया गया। अब इस्माइल हानिया मोसाद का प्राइम टारगेट बन गया।
फिलिस्तीन में लोकप्रिय :
इस्माइल हानिया अपने बयानों और गतिविधियों के चलते फिलिस्तीनियों में काफी लोकप्रिय था। जानकारी के अनुसार साल 2003 में मोसाद ने एक बाद इस्माइल हानिया को मारने की कोशिश की थी लेकिन इजराइली खूफिया एजेंसी ऐसा करने में चूक गई। इसके बाद इस्माइल हानिया चौकन्ने हो गए और उन्होंने पब्लिक अपियरेंस कम कर दिया।
फिलस्तीन के प्रधानमंत्री भी रहे :
साल 2006 में इस्माइल हानिया को एक और बड़ी जिम्मेदारी मिली। हमास द्वारा उन्हें 16 फरवरी 2006 को फिलस्तीन प्राधिकरण का प्रधानमंत्री बनाया गया। उन्होंने एक साल तक सरकार चलाई। इस दौरान अमेरिका और इजराइल द्वारा हानिया का काफी विरोध किया गया। बात फंडिंग रोकने तक आ गई तो फिलस्तीनी नेशनल अथॉरिटी के प्रमुख महमूद अब्बास के तेवर नरम हुए और उन्होंने इस्माइल हानिया को पद से बर्खास्त कर दिया। इस्माइल हानिया ने महमूद अब्बास के इस फैसले का विरोध किया लेकिन सरकार को दोबारा बहाल नहीं करवा पाए। इस्माइल हानिया को पीएम पद से हटाने का एक अन्य कारण इज़-अल-दीन अल-क़ासम ब्रिगेड द्वारा गाजा स्ट्रिप पर कब्जा करना था। इज़-अल-दीन अल-क़ासम ब्रिगेड द्वारा महमूद अब्बास के फतह आंदोलन के लोगों को भी निकाल दिया गया था। कई लोग मारे गए थे और महमूद अब्बास पर प्रेशर बनाया जा रहा था।
हमास पोलिटिकल ब्यूरो के प्रमुख :
प्रधानमंत्री पद छिन जाने के बाद भी इस्माइल हानिया शांत नहीं बैठे। उन्होंने कहा कि, हम फिलिस्तीनियों के लिए काम करना जारी रखेंगे। इसके बाद हमास द्वारा इस्माइल हानिया को साल 2017 में हमास पोलिटिकल ब्यूरो का प्रमुख बना दिया गया और साल 2018 में अमेरिका ने इस्माइल हानिया को आतंकवादी घोषित कर दिया।
इजराइल हमास युद्ध :
इसके बाद लंबे समय तक इस्माइल हानिया गायब रहा। अक्टूबर 2023 में हमास द्वारा इजराइल पर हमला किया गया था। इस हमले में इजराइल के 1200 नागरिक मारे गए थे। इसके बाद इजराइल ने हमास को ख़त्म करने की कसम खा ली। इजराइल ने कई हमास लीडर्स को टारगेट किया। अब तक इस युद्ध में हजारों लोग मारे गए हैं। अप्रैल 2024 में इस्माइल हानिया के परिवार के कई लोग मारे गए थे। इजराइल ने तीन मिसाइलों से हमला किया था। इसमें हानिया के तीन बेटे, तीन पोते-पोती और एक ड्राइवर मारा गया था।
इस्माइल हानिया की मौत :
हमास की स्थापना करने वाले इस्माइल हानिया की भी अब मौत हो चुकी है। ईरान की इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कोर ने इस बात की पुष्टि की है। हानिया ईरान के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने तेहरान आये थे। इस्माइल हानिया समेत उनके एक ड्राइवर की भी मौत हो गई है।