नईदिल्ली। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को लेकर बनाए गए नए नियमों को भेदभाव पूर्ण और अवैध बताते हुए नोटिस भेजा है। डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा है कि एसबीआई को जारी नोटिस में इस महिला विरोधी नियम को वापस लेने की मांग की गई है।
उन्होंने कहा कि बैंक के नए नियम के मुताबिक अगर कोई अभ्यर्थी तीन महीने से अधिक की गर्भवती है तो उसे अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा। ऐसे ही एक नियम में कहा गया है कि महिला प्रसव होने के चार महीने के अंदर ड्यूटी ज्वाइन कर सकती है। मालीवाल ने कहा कि इससे पहले छह महीने की गर्भावस्था वाली महिलाओं को विभिन्न शर्तों के साथ बैंक में काम करने की अनुमति थी। इससे पहले इस कदम की अखिल भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंप्लाइज एसोसिएशन आलोचना कर चुका है।
मालीवाल ने कहा कि पदोन्नति के संबंध में संशोधित मानक एक अप्रैल, 2022 से लागू हो रहे हैं। शर्तों में यह भी शामिल है कि स्त्री रोग विशेषज्ञ का प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत करना होगा कि ऐसी हालत में बैंक की नौकरी करने से उसकी गर्भावस्था या भ्रूण के विकास में कोई दिक्कत नहीं होगी। स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा या उसका गर्भपात नहीं होगा। वर्ष 2009 में भी बैंक ने इसी तरह का प्रस्ताव रखा था, लेकिन काफी हंगामे के बाद इसे वापस लिया गया था। दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का कहना है कि एसबीआई को यह नियम वापस लेने चाहिए।