प्रदेश के पांच महानगर ईवी मॉडल सिटी के रूप में होंगे विकसित: मिशन लाइफ के सात बिंदुओं पर आधारित रहेंगीं 75 गतिविधियां…

भोपाल। ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के साथ ही प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन महानगरों को ईवी मॉडल सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। शहरी यातायात के लिए प्रस्तावित शहरों में कलेक्टर, एसपी, आरटीओ, डीएसपी यातायात, निगमायुक्त के संयुक्त दल निरीक्षण कर चुके हैं।
आम जन की सुविधा के लिए हर 20 किलोमीटर पर चार्जिंग स्टेशन और हाई-वे पर प्रत्येक 100 किलोमीटर पर फास्ट चार्जिंग सुविधा का कार्य होना है। 552 शहरी बसों के संचालन को अंतिम रूप दिया जाना है। सुगम यातायात सेवा के लिए केन्द्र सरकार के शहरी कार्य मंत्रालय ने बस डिपो के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।
दरअसल, जल, जंगल, जीवन, पर्यावरण, हरियाली को बचाने के लिए भारत सरकार मिशन लाइफ अभियान चला रही है। अभियान को गति देने के लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री जन सहभागिता निर्माण योजना के माध्यम से वर्ष 2028-29 तक 750 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
योजना में जन भागीदारी एवं शासन की 50-50 प्रतिशत राशि लगेगी। मिशन लाइफ के सात ङ्क्षबदुओं के आधार पर 75 गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
इस तरह खर्च होना है राशि
-योजना में वर्ष 2028-29 तक के लिए 750 करोड़ रुपए का प्रावधान है।
-प्रति वर्ष 150 करोड़ रुपए के मान से राशि आवंटित की जाएगी।
-नगर निगम को प्रतिवर्ष 5 करोड़ रुपए, नगर पालिका को 1 करोड़ रुपए और नगर परिषदों को 25 लाख रुपए अनुदान मिलेगा।
-जन-भागीदारी एवं राज्य शासन की आर्थिक सहायता का अनुपात 50-50 प्रतिशत रहेगा।
-प्रति एकड़ 10 लाख रुपए के हिसाब से प्रत्येक नगर वन के विकास के लिए नगर निकायों को 2.50 करोड़ रुपए तक वित्तीय सहायता मिलेगी।
यह होना है कार्य
जल की बचत के लिए : कम पानी वाली फसलों की खेती, अमृत सरोवरों में जल संग्रहण के साथ नल से अनावश्यक पानी न बहाने की सीख दी जाएगी।
ऊर्जा की बचत के लिए : बायोगैस का उपयोग, एयर कंडीशनर का सीमित प्रयोग, फ्रिज और फ्रीजर नियमित डी-फ्रास्ट करने और ट्रेडमिल की बजाय खुले में दौड़ने की समझाइश दी जाएगी।
ई-कचरे से बचाव : इलेक्ट्रॉनिक उपकरण फेंकने की बजाय उनकी मरम्मत करवाकर उपयोग, गैजेट्स को निकटतम ई-रीसाइक्लिंग प्वॉइंट्स पर फेंकने की समझाइश दी जाएगी।
समुदाय आधारित कार्य : सभी समुदाय के सदस्य, स्कूल सहित अन्य संस्थानों को साथ लेकर संरक्षित क्षेत्र, प्राणी उद्यान, बफर जोन आदि को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए अभियान चलाने के काम कराए जाने हैं।
कृषि अवशेषों का उपयोग : कृषि अवशेषों का उपयोग करने के साथ ही मृदा कार्बनिक पदार्थ के महत्व को बढ़ाकर ज्यादा जल वाली फसलों से कम जल वाली फसलों की ओर रुचि बढ़ाना।
प्लास्टिक मुक्त उद्योग क्षेत्र : कार्पोरेट सहित अन्य सभी उद्यमों के कार्यालय प्लास्टिक मुक्त बनाकर औद्योगिक क्षेत्रों से शून्य रिसाव से नदियों को अस्वच्छ होने से बचाने के लिए कार्य होने हैं।