ब्रेस्ट पकड़ना, पैजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं: इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित फैसले पर अब सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्व-संज्ञान

Supreme Court
नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने स्व-संज्ञान ले लिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि, ब्रेस्ट पकड़ना, पैजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर विचार करने से इंकार कर दिया था। अब जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मामले पर स्व-संज्ञान लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के विवादास्पद आदेश की जांच करने के लिए स्वप्रेरणा से मामला शुरू किया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि, 'एक बच्ची के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे की डोरी तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का अपराध नहीं है।'
सुनवाई न्यायमूर्ति बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ द्वारा की जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि, जस्टिस बेला त्रिवेदी और प्रसन्ना बी वराले की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 24 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर पीआईएल पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 मार्च को समन आदेश में संशोधन करते हुए विवादास्पद टिप्पणियां की थीं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो आरोपियों के खिलाफ आरोपों में बदलाव किया था, जिन्हें मूल रूप से आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 18 (अपराध करने के प्रयास के लिए सजा) के तहत मुकदमे के लिए बुलाया गया था।