वेबडेस्क। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस बार 30 मई सोमवार को ज्येष्ठ मास की अमावस्या है। इसी दिन शनि देव का भी जन्म हुआ था। इस साल इसी दिन वट सावित्री पूजा भी है। इसके अलावा सोमवती अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व सुकर्मा योग भी बन रहा है। ऐसा संयोग करीब 30 साल बाद बन रहा है। सोमवती अमावस्या, शनि जयंती के दिन पितृदोष से मुक्ति, शनि शांति, साढ़े साती आदि के उपाय करना भी अच्छे फल प्रदान करता है।
शूकर क्षेत्र सोरों के ज्योतिषाचार्य डॉ गौरव दीक्षित बताते हैं कि इस दिवस में कुछ उपाय ऐसी हैं जो सही समय एवं विधि विधान पूर्वक संपन्न किए जाएं तो मानव जीवन में काफी उचित फल प्रदान करते हैं।
- - पितृ तर्पण व पिंडदान- सोमवती अमावस्या के दिन ही पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है। महाभारत काल से ही सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान का विशेष महत्व है।
- - दान-सोमवती अमावस्या के दिन शनि और चंद्र का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष में शांति मिलती है।
- - नदी स्नान- इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इस दिन महावीर हनुमान, शनिदेव, भगवान विष्णु और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। यदि नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, तो घर में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- - वट वृक्ष की पूजा- सोमवती अमावस्या के दिन बरगद के वृक्ष को जल चढ़ाकर परिक्रमा की जाती है। इससे जीवन में कष्ट दूर होते हैं।
- - इन चीजों का करें दान- सोमवती अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गरीबों को पानी का घड़ा, ककड़ी, खीरा, छाता का दान करना चाहिए, कहते हैं कि ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- - शनि देव की दशा, अंतरदशा, साढ़े साती या शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिये शनि शांति, जाप अनुष्ठान, दान आदि करने से भी अच्छे फल प्राप्त होते हैं।