MP News: लोकायुक्त के छापों के बावजूद रिश्वतखोरी जारी, कोई 20 तो कोई 14 हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ाया

Update: 2024-12-11 14:39 GMT

Bribery Case 

मध्यप्रदेश। लोकायुक्त के छापे और कार्रवाई के बावजूद भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत खोरी से बाज नहीं आ रहे हैं। बुधवार को दो अलग जगह पर छापेमारी के दौरान लोकायुक्त ने भ्रष्ट कर्मचारियों को रिश्वत लेते पकड़ा है।

केस 1 : इंदौर लोकायुक्त की कार्रवाई

राजकुमार काले से विजेंद्र कुमार गुप्ता ने रिश्वत मांगी थी। आवेदक के अनुसार वह कल्याण प्रशासक कार्यालय इंदौर में (भृत्य)मल्टी टास्क सर्विस के पद पर पदस्थ है।उसकी वेतन विसंगति सुधार के बाद लगभग 36,000 हज़ार रुपया एरियर की राशि उसे प्राप्त हुई है। उक्त एरियर राशि निकालने के लिए कल्याण प्रशासक विजेंद्र कुमार गुप्ता द्वारा आवेदक से 20,000 रुपया रिश्वत की माँग की जा रही थी। शिकायत का सत्यापन करने के बाद इंदौर लोकायुक्त की टीम ने विजेंद्र गुप्ता को 20 हज़ार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ ट्रैप किया।

केस 2 : इंदौर लोकायुक्त की कार्रवाई

उमेश कुमार शुक्ला से शशि कुमार विश्वकर्मा ने रिश्वत की मांग की थी। आरोपी शशि कुमार विश्वकर्मा खंड लेखक एवं रीडर अनविभागीय अधिकारी है। शशि द्वारा शिकायतकर्ता से संयुक्त खसरा नंबर 329 बटांक के नक्शा तरमीम हेतु तहसीलदार त्यौंथर द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध अनुविभागीय अधिकारी त्यौंथर के न्यायालय में विचाराधीन राजस्व प्रकरण में शिकायतकर्ता के पक्ष में एसडीएम साहब से आदेश करने हेतु 20000 रुपए रिश्वत की मांग की गई थी। जिसका सत्यापन लोकायुक्त संभाग रीवा के प्रभारी पुलिस अधीक्षक प्रवीण सिंह परिहार द्वारा कराया गया। शिकायत सत्यापन पर शिकायत सही पाए जाने पर आज आरोपी को 14,000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ ट्रैप किया गया है।

दोनों ही आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। बड़ा सवाल यह है कि, कड़े कानूनों के बावजूद आखिर क्यों भ्रष्टाचार के मामले कम नहीं हो रहे हैं। आए दिन लोकायुक्त की कार्रवाई सुर्खियों में रहती है। इन सभी मामलों के बाद नीति निर्धारण के स्तर पर विचार विमर्श किया जाना आवश्यक है।

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