बैंक गारंटी योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा: रीवा में सहकारी बैंक और शराब ठेकेदारों की मिलीभगत से 15 करोड़ का गबन...

Rewa District Scam
फर्जी बैंक गारंटी घोटाला: रीवा जिले में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, जहां 15 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर शराब ठेकों का आवंटन किया गया। इस घोटाले में जिला आबकारी अधिकारियों, सहकारी बैंक अधिकारियों और शराब ठेकेदारों की मिलीभगत सामने आई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने मामले की जांच करते हुए संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ FIR दर्ज की है। इस घटना ने प्रशासन और आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
फर्जीवाड़े का पूरा खेल इस तरह से रचा गया कि जिला सहकारी बैंक शाखा मोरबा (सिंगरौली) के तत्कालीन प्रभारी प्रबंधक नागेन्द्र सिंह ने नियमों की अनदेखी करते हुए 15 करोड़ 32 लाख रुपये की 14 फर्जी बैंक गारंटी जारी कीं। इनमें से 9 गारंटी शराब ठेकेदारों को दी गईं, जिन्होंने इनका उपयोग रीवा, सिंगरौली, उमरिया और सतना जिलों में ठेके लेने के लिए किया। नियमों के अनुसार, ये गारंटी केवल अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों द्वारा जारी की जानी चाहिए थी, लेकिन इसके बजाय सहकारी बैंक से इन्हें जारी किया गया। जिला आबकारी अधिकारी अनिल जैन ने नियमों को नज़रअंदाज़ करते हुए इन फर्जी गारंटियों को स्वीकार किया और शराब ठेकेदारों को ठेके आवंटित किए।
FIR में शामिल आरोपी
(1) नागेन्द्र सिंह, तत्कालीन प्रभारी शाखा प्रबंधक, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, शाखा मोरबा जिला सिंगरौली
(2) नृपेन्द्र सिंह, प्रोप. मेसर्स माँ लक्ष्मी इण्टरप्राईजेज, वैकुण्ठपुर, हनुमना, नईगढी, देवतालाब शराब दुकान समूह
(3) अजीत सिंह, प्रोप. मेसर्स आशा ऐन्टरप्राईजेज, इटौरा शराब दुकान समूह
(4) उपेन्द्र सिंह बघेल, मउगंज शराब दुकान समूह
(5) आदित्य प्रताप सिंह, रायपुर कर्चुलियान शराब दुकान समूह
(6) विजय बहादुर सिंह, प्रोप. मे. आर्याग्रुप, समान नाका शराब दुकान समूह
(7) अनिल जैन, तत् जिला आबकारी अधि. जिला रीवा
अन्य लोग भी इस मामले में शामिल हैं।
जांच में हो सकते हैं और भी खुलासे
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने इस मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (सी) के तहत मामला दर्ज किया है। यह पूरा प्रकरण सरकारी नियमों का उल्लंघन और भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है। EOW की जांच अभी भी जारी है और सूत्रों के मुताबिक आगे भी कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।