लखनऊ में मेडिविजन का राष्ट्रीय अधिवेशन: उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक बोले- 'चिकित्सकों को चाहिए चिकित्सा को भगवान मानकर काम करें'
केजीएमयू में हो रहे अभाविप के मेडिविजन के 2 दिवसीय सम्मेलन में बोले ब्रजेश पाठक। ब्रजेश पाठक, डॉ.राज शरण शाही, डॉ.वीरेंद्र सिंह सोलंकी एवं डॉ.अभिनंदन बोकरिया ने किया उद्घाटन
लखनऊ। अभाविप के चिकित्सकीय एवं डेंटल विद्यार्थियों के आयाम मेडिविजन के दो दिवसीय, 7वीं ऑल इंडिया मेडिकल एंड डेंटल स्टूडेंट सम्मेलन का शुभारंभ मंगलवार को लखनऊ के केजीएमयू में हुआ। उद्घाटन उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.राज शरण शाही, राष्ट्रीय मंत्री डॉ.वीरेंद्र सिंह सोलंकी एवं मेडिविजन के राष्ट्रीय संयोजक डॉ.अभिनंदन बोकरिया ने अटल कन्वेंशन सेंटर में किया। इस दौरान कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की स्नातकोत्तर की छात्रा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि वैद्यकीय विद्यार्थियों को चिकित्सा को भगवान मानकर काम करने की आवश्यकता है। शिक्षा के स्वरूप का उद्देश्य केंद्रित होना एवं उच्चतम तकनीक की शिक्षा होना चिकित्सकीय शिक्षा के विकास के लिए बहुत ही आवश्यक है।
भारत लगातार मेडिकल शिक्षा एवं तकनीकी के क्षेत्र में विकास की तरफ अग्रसर है। संपूर्ण विश्व चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के सहयोग की अपेक्षा रखता है। कोरोना के समय भारत ने जिस वैक्सीन और अन्य दवाओं के विकास में विश्व में विश्व की सेवा की वह अद्वितीय रहा। इस प्रकार भारत के मेडिकल साइंस के विद्यार्थियों की यह बड़ी नैतिक जिम्मेदारी है कि संपूर्ण जगत में भारत का के ध्वजवाहक बने, और वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ एक स्वस्थ एवं निरोगी समाज की स्थापना कर सकें।
अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.राजशरण शाही ने कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था संस्कृति से जुड़ी होनी चाहिए। भारत एकता में विविधताओं की पहचान करने वाला देश है। यहां हर भारत की एक संस्कृति एवं आत्मा होते हुए भी खानपान, पद्धतियां, विभिन्न स्थानीय ज्ञान और विभिन्न सामाजिक पर्वों की सुंदर विविधता सांस्कृतिक परंपरा और शक्ति व्यापकता का परिचायक है। एकता में विविधता का मतलब है की संपूर्ण भारत की संस्कृति एक ही है वह भारतीय संस्कृति है।
चाहे पश्चिम में द्वारका से लेकर पूर्व में अरुणाचल तक, उत्तर में कश्मीर लद्दाख से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक जलवायु, और संसाधनों के आधार पर भाषा, खानपान, पद्धतियों में विविधता है, जो कि शक्तिशाली व्यापकता का प्रतीक है। संभवतः समाज में धार्मिक, सांस्कृतिक, जातिगत, आस्था, भाषा, क्षेत्रीय भेद एवं कई अन्य कारक इन विविधताओं का हिस्सा हो सकते हैं, परन्तु हमें अपनी असहमतियों से ऊपर उठकर भारत की एक सांस्कृतिक आत्मा में एकजुट रहना चाहिए।
अभाविप के राष्ट्रीय मंत्री डॉ.वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि भले ही मेडिविजन की शुरुआत 2015 में हुई हो पर परिषद अपने स्थापना काल से ही चिकित्सकीय छात्रों के बीच काम करते आया है। मेडिविजन के कार्यकर्ताओं ने हमेशा से ही चिकित्सा के क्षेत्र में अपना सम्पूर्ण समर्पण देकर समाज को सहायता पहुंचा कर उनके उत्तम स्वास्थ्य एवं सफल जीवन व्यतीत करने में उनका सहयोग किया है। मेडिविजन के राष्ट्रीय संयोजक डॉ.अभिनंदन बोकरिया ने विश्व बंधुत्व की कामना का उद्घोष करते हुए एवं एक प्रसिद्ध गीत का उदाहरण देते हुए कहा कि ’देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखें, सूरज हमें रोशनी देता, हवा नया जीवन देती है।
भूख मिटाने को हम सबकी, धरती पर होती है खेती। संचालन मेडिविजन केजीएमयू इकाई की प्रमुख डॉ.शिविली राठौर ने किया। कार्यक्रम में परिषद के पदाधिकारी सहित भारत एवं नेपाल के मेडिकल के तमाम विद्यार्थी उपस्थित रहे।