भितरवार में भितरघात से बचे तो भाजपा भारी
- ब्रजेन्द्र तिवारी पर टिकी हैं सभी की निगाहें
ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। जिले की भितरवार सीट पर पिछले तीन बार से कांग्रेस और बसपा का शासन रहा है। इसके बाबजूद भाजपा की सरकार आने पर कार्य इसी सरकार ने कराया है ऐसा पार्टी नेताओं का कहना है। वहीं इस विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए भितरघात से बचना भी बहुत जरुरी है। यदि भाजपा विश्वासघात पर विजय पाती है तो उसकी जीत सुनिश्चत बताई जा रही है। ऐसा राजनैतिक पण्डितों का मानना है।
पिछले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के वर्तमान विधायक लाखन सिंह यादव ने इस पर पकड़ बना रखी है। लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 में इस सीट पर कांग्रेस की स्थिति कमजोर नजर आ रही है। इसका कारण यह है कि पिछले दो विधानसभाओं से भले ही सीट कांग्रेस की झोली में है पर विकास कार्य भाजपा ने कराए हैं। इस बात को जनता स्वीकार भी रही है। भाजपा उम्मीदवार सांसद अनूप मिश्रा को इसका कितना लाभ मिल पाएगा यह कहना मुश्किल है।
अनूप मिश्रा इससे पहले भी इस क्षेत्र में विधायक रह चुके हैं। इस पूरे मामले में पार्टी की चिंता केवल भितरघात हो सकती है। दरअसल इस विधानसभा सीट से ब्रजेन्द्र तिवारी भी निर्दलीय उम्मीदवारी भरने वाले थे। वहां उनकी छवि भी जनता के बीच अच्छी मानी जाती है। फिलहाल तो वह भारतीय जनता पार्टी के खेमे में हैं यदि किन्हीं परिस्थितियों में वह पाला बदलते हैं तो भाजपा को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दो दिन पूर्व ही लाखन का भतीजा भी भाजपा में शामिल होना बताया जा रहा है। इससे कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
हरसी हाईलेवल नहर है चुनाव में निभा रही महत्वपूर्ण भूमिका
क्षेत्र में किसानों की समस्या दूर करने के लिए हरसी हाईलेवल नहर का खासा योगदान रहेगा। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा के पास अपना विकास का एजेण्डा गिनवाने के लिए अपने आप में महत्वपूर्ण कार्य है। इसके अलावा सड़कें और बिजली भी उन्हें सहयोग करती नजर आती हैं।
यह है जातीय समीकरण
भितरवार विधानसभा में लगभग सभी जातियों का योगदान है। यहां पर 12 हजार ब्राह्मण, 10 हजार क्षत्रिय, 14 हजार गुर्जर, 28 हजार आदिवासी, 28 हजार अनुसूचित जाति/जनजाति, 23 हजार कुशवाहा, 24 हजार रावत, 22 हजार किरार और 60 हजार मतदाताओं में अन्य जातियां शामिल हैं। कुल मतदाता 2 लाख 16 हजार 537 हैं।