नईदिल्ली/विशेष संवाददाता। कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 66 दिनों से चल रहे तथाकथित किसान आंदोलन को अब जबर्दस्त जातिवादी रंग दिया जाने लगा है। गणतंत्र दिवस पर लाल किले की प्रचीर पर तिरंगे का अपमान देखकर जनता आग बबूला हुई तो खालिस्तानी नेताओं ने आनन-फानन में भारतीय किसान संघ के नेता राकेश टिकैत को मोहरा बनाया। धरना स्थलों से उखड़ते तंबुओं और किसानों की भगदड़ रोकने के लिए राकेश टिकैत की रोती हुई तस्वीरें और वीडियो खूब वायरल करवाए गए। यही कारण है कि धरनास्थल से घर वापस जाते किसानों ने सहानुभूति की लहर देखकर वापस लौटने का मन बनाया। वरना अब तक आंदोलन इतिहास का हिस्सा बन गया होता। राकेश टिकैत जिस मर्दानगी का दंभ भर रहे हैं वह चेहरा दिखाने वाला है जबकि अंदर का चेहरा चौंकाने वाला है। उन पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। बताया जा रहा है कि गाजीपुर में भगदड़ मचने के दौरान खलिस्तानियों को लगा कि उनका खेल बिगड़ चुका है तो उन्होंने राकेश टिकैत को तंबू के एक किनारे ले जाकर उनकी लात व घूसों से बुरी तरह पिटाई कर दी।
उनकी शक्ल बिगाड़ दी गई थी। जिस राकेश टिकैत के केंद्र सरकार पर बल खाते बयान हवा में लहरा रहे थे अचानक या हुआ कि उनकी भभकी निकलने लगी। दरअसल, खलिस्तानियों ने उनको घेरकर ऐसी धमकी दी कि उनको गिरगिट की तरह अपना रंग बदलना पड़ा। फिर जो कुछ हुआ वह भागते हुए किसानों पर जादू कर गया। नेताओं ने मामले को जातिवादी बना दिया, तो कइयों ने सहानुभूति लहर पर सवार होकर 'किसान आंदोलन' को फिर से जि़ंदा कर दिया। उनके रोने से दो दिन पहले गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की 'ट्रैक्टर रैली' में जम कर हिंसा हुई थी। अब सवाल उठ रहे हैं कि खालिस्तानियों ने उनकी पिटाई आखिर यों की थी? मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राकेश टिकैत के रोने से पहले खालिस्तानियों ने टेंट के भीतर ही उनकी पिटाई की थी। पत्रकार वार्ता से पहले कुछ कट्टर सिखों ने उन्हें थप्पड़ और लातों से तो मारा ही था, साथ ही उनसे पैसे वापस लेने की भी धमकी दी थी। जबकि राकेश टिकैत ने रोते हुए दावा किया था कि प्रशासन किसानों का दमन कर रहा है और उनका आत्महत्या करने का मन कर रहा है। इस तरह के दावे किए जा रहे हैं कि पत्रकार वार्ता से कुछ ही देर पहले आंदोलन की फंडिंग कर रही खालिस्तानियों की टीम राकेश टिकैत से मिलने पहुंची थी। उक्त टीम टिकैत से काफी नाराज थी। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन खालिस्तानियों ने टिकैत को माँ-बहन की गालियां दी। फिर उन्हें टेंट में ले जाकर एक जोरदार लात मारी, जिससे वो जमीन पर गिर गए।
आनन-फानन में बुलाई थी नरेश टिकैत ने महापंचायत
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबरों के अनुसार राकेश टिकैत की पिटाई से घबराए उनके भाई नरेश टिकैत ने मुजफरनगर के सिसौली में भारतीय किसान यूनियन महापंचायत बुला ली। यह महापंचायत राजकीय इंटर कॉलेज में हुई। स्थल पर कई पड़ोसी राज्यों के किसान जुटने लगे थे और सब मिल कर सिसौली के राजकीय इंटर कॉलेज ग्राउंड में पहुँच गए थे। जानकारी हो कि गाजीपुर प्रशासन से अल्टीमेटम मिलने के बाद नरेश टिकैत ने धरना वापस लेने का फैसला किया था, लेकिन इस वीडियो के सामने आने के बाद फैसला बदल दिया गया।
ट्रैक्टर रैली में हिस्सा लेने आए 100 दंगाई लापता
पंजाब मानवाधिकार संगठन के अनुसार गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में हुड़दंग मचाने के बाद से ही पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से ट्रैटर रैली में हिस्सा लेने वाले लगभग 100 से भी ज्यादा प्रदर्शनकारी किसान गायब हैं। वहीं पुलिस का कहना है कि 18 किसानों को हिंसा में शामिल होने के चलते गिरतार किया गया है। हालांकि, बाकी के किसानों का पता नहीं चल पाया है। इन 18 किसानों में 7 बठिंडा जिले के तलवंडी साबो उपमंडल के तहत आने वाले बंगी निहाल सिंह गांव के है। इन पर आरोप है कि इन्होंने लाल किले में हुई हिंसा में अपना पूर्ण योगदान दिया था। जिसके चलते किले पर राष्ट्रीय ध्वज की जगह सांप्रदायिक झंडा लहराया गया। इनके खिलाफ पश्चिम विहार पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसके तहत इनकी गिरतारी हुई है।