नभः स्पृशं दीप्तम: निरंतर ताकतवर होती भारतीय वायुसेना

भारतीय वायुसेना के 89वें स्थापना दिवस (8 अक्तूबर) पर विशेष

Update: 2021-10-08 10:47 GMT

योगेश कुमार गोयल। भारतीय वायुसेना 8 अक्तूबर को अपना 89वां स्थापना दिवस मना रही है। प्रतिवर्ष इस विशेष अवसर पर हिंडन एयरबेस में एक भव्य एयर-शो का प्रदर्शन किया जाता है। इस बार वायुसेना के 89वें स्थापना दिवस पर अत्याधुनिक तकनीकों से लैस राफेल सहित विश्व के सबसे उन्नत ट्रांसपोर्ट प्लेन सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्युलिस के अलावा सुखोई, मिराज, जगुआर, मिग-21 बायसन, मिग-29, सारंग हेलीकॉप्टर सहित कई विमान आकाश में करतब दिखाते हुए पूरी दुनिया को भारतीय वायुसेना की लगातार बढ़ती ताकत का स्पष्ट अहसास कराते नजर आएंगे।

आसमान में देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह भारतीय वायुसेना के हाथों में होती है, इसलिए दुश्मन देशों की चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए वायुसेना को लगातार मजबूती प्रदान करना बेहद जरूरी है और भारत के लिए गर्व की बात है कि भारतीय वायुसेना को अब दुनिया की चौथी बड़ी सैन्यशक्ति वाली वायुसेना माना जाता है, जिसकी जांबाजी के अनेक किस्से दुनियाभर में विख्यात हैं। वायुसेना का ध्येय वाक्य है 'नभः स्पृशं दीप्तम' अर्थात् आकाश को स्पर्श करने वाले दैदीप्यमान। गीता के 11वें अध्याय से लिए गए ये शब्द भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन से कहे थे।

'ग्लोबल फायरपावर' के अनुसार दुनिया की शक्तिशाली वायुसेना के मामले में चीन तीसरे और भारत चौथे स्थान पर है। भारतीय वायुसेना ही है, जो देश की करीब 24 हजार किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी मुस्तैदी के साथ निभाती है। राफेल सहित कुछ और शक्तिशाली लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा अत्याधुनिक मिसाइलों के वायुसेना की विभिन्न स्क्वाड्रनों में शामिल होने से हमारी वायुसेना कई गुना शक्तिशाली हो चुकी है। राफेल विमान वायुसेना का अहम हिस्सा बन जाने के बाद तो वायुसेना की युद्धक क्षमताएं काफी ज्यादा बढ़ी हैं और अब हम हवा में पहले से बहुत ज्यादा मजबूत हुए हैं तथा दुश्मन की किसी भी तरह की हरकत का पहले से अधिक तेजी और ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम हुए हैं।

वायुसेना की पहली स्क्वाड्रन 1993 में बनी थी और हर भारतीय के लिए यह गर्व की बात है कि हमारी वायुसेना आज इतनी ताकतवर हो चुकी है कि इसमें फाइटर एयरक्राफ्ट, मल्टीरोल एयरक्राफ्ट, हमलावर एयरक्राफ्ट तथा हेलीकॉप्टरों सहित 2200 से अधिक एयरक्राफ्ट तथा करीब 900 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट शामिल हो चुके हैं। पड़ोसी देशों की फितरत को देखते हुए अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित एयरक्राफ्ट तथा लड़ाकू विमान वायुसेना में शामिल किए जाने की प्रक्रिया लगातार जारी है।

भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में 8 अक्तूबर 1932 को हुई थी और तब इसका नाम था 'रॉयल इंडियन एयरफोर्स'। 1945 के द्वितीय विश्वयुद्ध में रॉयल इंडियन एयरफोर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय वायुसेना पर आर्मी का ही नियंत्रण होता था। इसे एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दिलाया था इंडियन एयरफोर्स के पहले कमांडर-इन-चीफ सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट ने, जो हमारी वायुसेना के पहले चीफ एयर मार्शल बने थे। 'रॉयल इंडियन एयरफोर्स' की स्थापना के समय इसमें केवल चार एयरक्राफ्ट थे और इन्हें संभालने के लिए कुल 6 अधिकारी और 19 जवान थे। आज वायुसेना में डेढ़ लाख से भी अधिक जवान और हजारों एयरक्राफ्ट्स हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् वायुसेना को अलग पहचान मिली और 1950 में 'रॉयल इंडियन एयरफोर्स' का नाम बदलकर 'इंडियन एयरफोर्स' कर दिया गया। एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इंडियन एयरफोर्स के पहले भारतीय प्रमुख थे। उनसे पहले तीन ब्रिटिश ही वायुसेना प्रमुख रहे। भारतीय वायुसेना में अभी तक कुल 23 एयर चीफ स्टाफ रह चुके हैं। इंडियन एयरफोर्स का पहला विमान ब्रिटिश कम्पनी 'वेस्टलैंड' द्वारा निर्मित 'वापिती-2ए' था।

भारतीय वायुसेना चीन के साथ एक तथा पाकिस्तान के साथ चार युद्धों में अपना पराक्रम दिखा चुकी है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् 1947 में भारत-पाक युद्ध, कांगो संकट, ऑपरेशन विजय, 1962 में भारत-चीन तथा 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन पूमलाई, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन कैक्टस, 1999 में कारगिल युद्ध इत्यादि में अपनी वीरता का असीम परिचय देते हुए वायुसेना ने हर तरह की विकट परिस्थितियों में भारत की आन-बान की रक्षा की। इस समय राफेल, सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्युलिस, मिराज, जगुआर, सुखोई, मिग-21 बायसन, मिग-29, चिनूक, अपाचे तथा कई अन्य अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और मिसाइलें भारतीय वायुसेना की बेमिसाल ताकत बने हैं और आगामी 3-4 वर्षों में तेजस, कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, ट्रेनर एयरक्राफ्ट सहित कई और ताकतवर हथियार वायुसेना की अभेद्य ताकत बनेंगे। दो वर्षों में राफेल तथा एलसीए मार्क-1 स्क्वाड्रन पूरी ताकत के साथ शुरू हो जाएगी।

फिलहाल चीन के पास भारत के मुकाबले में दो गुना लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान हैं, भारत से दस गुना ज्यादा रॉकेट प्रोजेक्टर हैं लेकिन रक्षा विश्लेषकों के अनुसार चीनी वायुसेना भारत के मुकाबले मजबूत दिखने के बावजूद भारत का पलड़ा उस पर भारी है। दरअसल भारतीय लड़ाकू विमान चीन के मुकाबले ज्यादा प्रभावी हैं। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक गिनती और तकनीकी मामले में भले ही चीन सहित कुछ देश हमसे आगे हो सकते हैं लेकिन संसाधनों के सटीक प्रयोग और बुद्धिमता के चलते दुश्मन देश सदैव भारतीय वायुसेना के समक्ष थर्राते हैं। भारत के मिराज-2000 और एसयू-30 जैसे जेट विमान ऑल-वेदर मल्टीरोल विमान हैं, जो किसी भी मौसम में और कैसी भी परिस्थितियों में उड़ान भर सकते हैं। मिराज-2000, मिग-29, सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस के अलावा सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमान करीब पौने चार घंटे तक हवा में रहने और तीन हजार किलोमीटर दूर तक मार करने में सक्षम हैं। एक बार में 4200 से 9000 किलोमीटर की दूरी तक 40-70 टन के पेलोड ले जाने में सक्षम सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हैं। चिनूक और अपाचे जैसे अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर भी वायुसेना की मजबूत ताकत बने हैं। इनके अलावा भारत के पास दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम 952 मीटर प्रति सैकेंड की रफ्तार वाली ब्रह्मोस मिसाइलों सहित कई अन्य घातक मिसाइलें भी हैं, जिनकी मारक क्षमता से दुश्मन देश थर्राते हैं। तत्कालीन वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया के मुताबिक देश के समक्ष उभर रही चुनौतियों ने हमें भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अधिकृत किया है और हमारी क्षमताओं ने विरोधियों को चौंकाया है।

दरअसल भारतीय वायुसेना ने समय के साथ बहुत तेजी से बदलाव किए हैं और काफी हद तक कमियों को दूर भी किया गया है। भदौरिया के अनुसार हमारे पड़ोस और आसपास के क्षेत्रों में उभरते खतरे के परिदृश्य में युद्ध लड़ने की मजबूत क्षमता होना आवश्यक है और ऑपरेशनली भारतीय वायुसेना सर्वश्रेष्ठ है। उनका साफतौर कहना है कि भारत किसी भी खतरे से निपटने और दोनों मोर्चों पर युद्ध करने के लिए पूरी तरह तैयार है तथा वायुसेना उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के साथ दोतरफा युद्ध से निपटने के लिए भी तत्पर है। बहरहाल, डीआरडीओ तथा एचएएल के स्वदेशी उत्पादन वायुसेना की ताकत को निरन्तर बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। आने वाले समय में 83 हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस (मार्क-1ए), 114 एमआरएफए विमानों की खरीद प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद तो वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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