विनोद दुबे / स्वदेश वेब डेस्क। उमाभारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमण्डल के कद्दावर मंत्री रहे अनूप मिश्रा भलें विगत चार वर्षों से मुरैना के सांसद हैं। लेकिन ग्वालियर में ऐसा माना जा रहा है कि अनूप मिश्रा वनवास काट रहे हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में श्री मिश्रा के ग्वालियर पूर्व से टिकट मांगे जाने की चर्चाएं जोरों पर रहीं। वहीं भितरवार विधानसभा क्षेत्र से जहां से वह विधायक भी रह चुके हैं तथा 2013 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के बागी प्रत्याशी ब्रजेन्द्र तिवारी के निर्दलीय मैदान में कूंद पडऩे के कारण वह कांग्रेस के प्रत्याशी एवं वर्तमान विधायक लाखन सिंह से चुनाव हार गए थे। अनूप मिश्रा की हार का सबसे प्रमुख कारण तो ब्रजेन्द्र तिवारी के निर्दलीय चुनाव मैदान में आ जाने से ब्राह्मण वोटों का विभाजन माना गया। लेकिन चर्चाएं अनूप को हराने के लिए स्थानीय कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए प्रयासों की भी रहीं। चूंकि ब्रजेन्द्र तिवारी का लम्बा राजनीतिक कार्यकाल इस क्षेत्र में अपनी जमीन तैयार करते हुए निकला है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा परिक्षेत्रों के परिसीमन के बाद ब्रजेन्द्र तिवारी के गृह ग्राम (धुंआ) घाटीगांव सहित मोहना क्षेत्र का बड़ा हिस्सा भितरवार विधानसभा में शामिल हो चुका है। पहले समाजवादी फिर भाजपा नेता के रूप में राजनीति करते हुए उन्होंने वर्ष 2003 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। इस विधानसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में ब्राह्मण मतदाता निवास करता है जो किसी भी प्रत्याशी को विजय दिलाने में सक्षम भी है। इसका उदाहरण अनूप मिश्रा और बाद में ब्रजेन्द्र तिवारी की जीत से मिला था। लेकिन वर्ष 2013 में भाजपा द्वारा टिकट काटे जाने से नाराज ब्रजेन्द्र तिवारी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे तो अनूप भाजपा के टिकट पर। दो पूर्व विधायकों और दोनों ही कद्दावर नेताओं के इस विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतर जाने से ब्राह्मण समाज का वोट तो कटा ही, भाजपा का स्थायी मतदाता भी विभाजित हो गया। वहीं बहुजन समाज पार्टी का दामन छोडक़र कांग्रेस में आए विधायक लाखन सिंह की अनुसूचित वोटों पर पकड़ तो थी ही, भाजपा और ब्राह्मण समाज के वोटों के विभाजन का अतिरिक्त लाभ उन्हें मिला। इस तरह वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में अनूप को हार का मुंह देखना पड़ा था।
भितरवार में हार के बाद अनूप मिश्रा को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मुरैना लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में उन्होंने विजय प्राप्त की और संसद पहुंच गए। प्रदेश की राजनीति से विरक्त रहे अनूप मिश्रा को लेकर विगत पांच वर्षों में तरह-तरह की चर्चाएं रहीं। चर्चा यह भी रही कि क्या अनूप प्रदेश की राजनीति में वापस आएंगे। हाल में टिकट वितरण के दौरान भितरवार विधानसभा से अनूप मिश्रा को प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी थी। जब पहली सूची में उनका नाम नहीं आया तो आशंका और अधिक जोर पकड़ी। लेकिन सोमवार 5 नवम्बर को जैसे ही भाजपा प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी हुई। अनूप समर्थकों ने पटाखे फोडऩे शुरू कर दिए। इस बार भी भाजपा प्रत्याशी अनूप मिश्रा की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। पूर्व की भांति इस बार भी ब्रजेन्द्र तिवारी फिर से चुनाव मैदान में दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भी पूर्ववत लाखन सिंह यादव ही हैं। इस बार कुछ बदला दिखाई दे रहा है तो इस क्षेत्र के मतदाताओं का मूड है। ब्राह्मण समाज भी इस बार वोटों का विभाजन नहीं चाहता और अनूप भी चुनाव के प्रति पिछली वार से कहीं अधिक गंभीर हैं। चर्चाएं फिर भी जारी हैं। पहले अनूप के निर्वासन को लेकर थीं अब अनूप का मप्र से वनवास खत्म होने की हैं।