भारतीय ज्ञान परंपरा की ज्योति से अपने ज्ञान का दीपक जलाकर करें पत्रकारिता : हितेश शंकर

माणिकचन्द्र वाजपेयी जन्मशताब्दी समारोह समिति द्वारा ‘ध्येयनिष्ट पत्रकारिता की चुनौतियाँ’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

Update: 2020-09-12 14:41 GMT

भोपाल। मामाजी माणिकचन्द्र वाजपेयी जैसे पत्रकारों ने ही ध्येय्निष्ट पत्रकारिता जैसे शब्द को उसका अर्थ दिया. आज के समाज में जब यह प्रश्न बार बार पुछा जा रहा है कि पत्रकारिता कितनी ध्येय्निष्ट रह गयी है, ऐसे में मामाजी की दृष्टि और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाती है. यह बातें वरिष्ट पत्रकार एवं संपादक ब्रजेश कुमार सिंह ने माणिकचन्द्र वाजपेयी जन्मशताब्दी समारोह समिति द्वारा 'ध्येयनिष्ट पत्रकारिता की चुनौतियाँ' विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान के दौरान कहीं. यह वर्ष वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी मामाजी माणिक वाजपेयी का जन्मशताब्दी वर्ष है, इस अवसर पर समारोह समिति द्वारा विभिन्न विषयों पर कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. इसी श्रंखला के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ट पत्रकार एवं संपादक ब्रजेश कुमार सिंह एवं पांचजन्य के संपादक हितेश वाजपेयी मुख्या वक्ता के तौर पर उपस्थित रहे.

पत्रकारिता अपने समय के चुनौतियों से प्रेरित

ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि हर वक्त की पत्रकारिता अपने समय के चुनौतियों से प्रेरित होती है। भारत में जब पत्रकारिता की शुरुआत हुई तो वह राष्ट्र के स्वतंत्रता पर केन्द्रित थी, फिर यह पत्रकारिता सामाजिक सुधारों की तरफ बढ़ी और बाद में यही पत्रकारिता जनांदोलन की प्रेरणा बनी। 70 के दशक में पत्रकारिता देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजूट हुई जिसकी परिणिति 1975 के आपातकाल के तौर पर देखने को मिली. बदलते समय की आवश्यकताओं के अनुसार पत्रकारिता का ध्येय बदलता रहा है, आज के समय में आने वालों युवा पत्रकारों को भी समय की आवश्यकताओं को देखते हुए अपना ध्येय बनाने की जरुरत है.

समाज के भले की भावना से की गई पत्रकारिता ही सच्ची सेवा 

पांचजन्य के संपादक हितेश वाजपेयी ने कहा कि सबका अपना अपना ध्येय हो सकता है, लेकिन हिंदी पत्रकारिता का ध्येय क्या हो? मीडिया एक माध्यम है, अपने आप में कोई लक्ष्य नहीं है. जैसे की ट्रेन एक माध्यम है लेकिन उसका लक्ष्य क्या है, आपको जाना कहाँ है? इसी प्रकार अगर पत्रकारिता का कोई लक्ष्य तय न हो तो मुसीबत हो जाती है। पत्रकारिता का ध्येय क्या हो, इस विषय में भारतीय चिंतन सम्पूर्ण विश्व को एक दृष्टि देने का काम करती है।  भारतीय ज्ञान परंपरा की ज्योति से अपनी ज्ञान का दीपक जलाकर जो पत्रकारिता आगे बढ़ी उसके लिए सबके भले की कामना सबसे आगे है और जब इस भावना से कोई पत्रकारिता कोई करता है तो वही समाज की सच्ची सेवा है. उनकी पत्रकारिता देख कर लगता है कि हाँ इनके सामने भी चुनौतियाँ रही होंगी लेकिन उन्होंने जाति-पंथ और बाकी सब भेदों से ऊपर उठकर अपनी कलम समाज को एक नयी दिशा देने का काम किया है। 

इस व्याख्यान का ऑनलाइन आयोजन गूगल मीट के माध्यम से किया गया, जिसका सीधा प्रसारण विश्व संवाद केंद्र मध्यप्रदेश के पेज पर किया गया. इस कार्यक्रम का संचालन वरिष्ट पत्रकार गिरीश उपाध्याय ने किया एवं अनेक गणमान्य पत्रकारों समेत बड़ी संख्या में समाज के लोग इस कार्यक्रम से जुड़े. कार्यक्रम के अंत में वरिष्ट पत्रकार मनोज जोशी ने वक्ताओं एवं श्रोताओं का धन्यवाद् ज्ञापन किया।  

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