मप्र में ओबीसी को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक जारी

Update: 2020-08-18 11:49 GMT

जबलपुर/भोपाल।  प्रदेश में अभी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं मिलता नजर नहीं आ रहा है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय में  पूर्व सरकार द्वारा 14  फीसदी आरक्षण को 27 फीसदी करने केनिर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। उच्च न्यायलय ने 14 फीसदी से अधिक आरक्षण पर लगाई गई रोक को अगले आदेश तक जारी रखा है।  

बता दें कि पूर्ववर्ती कांग्रेस की कमलनाथ सरकार द्वारा प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण कोटे को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का निर्णय लिया था। इसे राज्य में लागू करने के लिए संशोधित अध्यादेश भी जारी कर दिया गया था, लेकिन सरकार के इस फैसले को जबलपुर की छात्रा आकांक्षा दुबे समेत कई विद्यार्थियों ने उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की थीं। याचिकाओं में कहा गया था कि राज्य सरकार के 8 मार्च 2019 को जारी संशोधन अध्यादेश के कारण ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी हो गया है, जिससे आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 से बढक़र 63 हो गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं किया जा सकता। वहीं राजस्थान के शांतिलाल जोशी सहित 5 छात्रों ने एक अन्य याचिका में कहा कि 28 अगस्त 2018 को मप्र सरकार ने 15000 उच्च माध्यमिक स्कूल शिक्षकों के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर भर्ती परीक्षा कराई। 20 जनवरी 2020 को इस सम्बंध में सरकार ने इन पदों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने की नियम निर्देशिका जारी कर दी।

उच्च न्यायालय द्वारा तत्काल याचिकाओं पर तत्काल फैसला लेते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी से अधिक आरक्षण देने पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही थी। इसी आदेश को बरकरार रखते हुए कोर्ट ने 28 जनवरी को एमपीपीएससी की करीब 400 भर्तियों में भी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इस मामले में जबलपुर उच्च न्यायालय में मंगलवार को प्रशासनिक न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस बीके श्रीवास्तव की युगलपीठ द्वारा मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई, जिसमें सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता के साथ महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने पक्ष रखते हुए अदालत से रोक के आदेश को वापस लेने का आग्रह किया, जिसे अदालत ने स्वीकार नहीं किया। अदालत ने अन्य पिछड़ा वर्ग के 14 फीसदी से अधिक आरक्षण पर रोक को बरकरार रखने का आदेश पारित किया। साथ ही मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद करने का निर्देश दिया। 

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