ताप्ती नदी पर प्रस्तावित है देश का सबसे बड़ा ग्राउंड वाटर रीचार्ज प्रोजेक्ट: पानी सहेजने को लेकर देखा भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी का सपना होगा साकार…
बाढ़ के पानी से 250 वर्ग किमी में तैयार होगी 2.34 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की सबसे बड़ी परियोजना;

धर्मेन्द्र त्रिवेदी, भोपाल। ताप्ती नदी में आने वाली बाढ़ के पानी को मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बॉर्डर पर 250 वर्ग किमी क्षेत्र में सहेजा जाएगा। भूजल स्तर को बेहतर करने के लिए तैयार हो रहे देश के इस सबसे बड़े प्रोजेक्ट के लिए केबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।
इस परियोजना के अस्तित्व में आने से दोनों प्रदेशों की 2 लाख 34 हजार 706 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में ताप्ती मेगा रीचार्ज प्रोजेक्ट का एमओयू होने के बाद केन्द्र सरकार 19244 करोड़ रुपए की लागत की परियोजना के लिए 90 प्रतिशत तक राशि फायनेंस करेगी और 10 प्रतिशत अंश दोनों प्रदेशों का रहेगा।
भारत सरकार के सहयोग से अस्तित्व में आने वाली योजना साकार होने पर पानी सहेजने को लेकर भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा देखा गया सपना साकार होगा।
इसलिए महत्वपूर्ण है परियोजना
पहले:
ताप्ती नदी के जल बटवारे को लेकर 39 वर्ष से विवाद जारी है। वर्ष 1958 में कराए गए सर्वे के आधार पर वर्ष 1986 में केन्द्र सरकार ने दोनों राज्यों के बीच जल बटवारा समझौता कराया था। मध्यप्रदेश को 70 टीएमसी एवं महाराष्ट्र को 191.41 टीएमसी जल मिलना तय हुआ था। बाद में नदी पर 66 टीएमसी क्षमता का बांध बनाने की योजना बनी लेकिन इस योजना से 73 गांव, 6 हजार हेक्टेयर जंगल सहित 17216 हेक्टेयर भूमि डूब क्षेत्र में आ रही थी। डूब क्षेत्र और विस्थापन की चुनौती से उपजे विवाद के बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।
अब
ताप्ती मेगा रीचार्ज प्रोजेक्ट के अंतर्गत बांध की बजाय 8.31 टीएमसी क्षमता का बैराज बनेगा। इस प्रोजेक्ट से बांध परियोजना से डूब में आ रहे 73 गांव सुरक्षित रहेंगे। मध्यप्रदेश की 1556 हेक्टेयर और महाराष्ट्र की 2372 हेक्टेयर भूमि सहित सिर्फ 3928 हेक्टेयर भूमि ही डूबेगी।
विशेषज्ञों का सुझाव आया काम
वर्ष 2016 में केन्द्र सरकार ने एनआईटी रुड़की के डायरेक्टर की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स गठित किया था। इस टास्क फोर्स ने बड़े बांध की बजाय कृत्रिम भूजल भंडार बनाने का सुझाव दिया। सुझाव पर चर्चा के बाद जीआईएस स्टडी, जियोजिफिजिकल सर्वे, टोपोग्राफिकल सर्वे, लिडार सर्वे हुआ। इसके आधार पर एल्युविरियम एक्विफर (जलभराव स्थान) चिन्हित कर बाजड़ा जोन खोजा गया था।
यह है बाजड़ा जोन
- मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बॉर्डर पर बुरहानपुर और चोपड़ा के बीच इचुखेड़ा नाम की जगह पर बाजड़ा जोन है। यह एक ऐसी प्राकृतिक भूगर्भीय संरचना होती है, जो दो तीखी ऊंचाई वाले पहाड़ों के बीच रेत और जलोढ़ मिट्टी वाली कमजोर सतह बन जाती है, इस सतह को बाजड़ा जोन के रूप में परिभाषित किया गया है। एल्युवियम एक्विफर या जल भराव के लिए ऐसी जगह को आदर्श माना जाता है। चयनित क्षेत्र में पहाड़ों के बीच 250 वर्ग किमी क्षेत्र में जल भराव करके कृत्रिम तरीके से प्राकृतिक भूजल भंडार क्षेत्र बनाया जा सकता है।
इन क्षेत्रों को सीधा फायदा
- महाराष्ट्र के जलगांव, चोपड़ा, धारणी, अमरावती क्षेत्र की 2 लाख 34 हजार 706 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी।
- मध्यप्रदेश के बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार और खालवा में 1 लाख 23 हजार 82 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।
ऐसे आकार लेगी परियोजना
- देानेां प्रदेशों के बॉर्डर पर बन रहा यह देश का सबसे बड़ा ग्राउंड वाटर रीचार्ज प्रोजेक्ट होगा।
- प्रोजेक्ट की लागत 19244 करोड़ रुपए अनुमानित है।
- बॉर्डर पर ताप्ती नदी के भराव क्षेत्र में मौजूद दो चट्टानों के बीच पानी भरा जाएगा।
- 250 किलोमीटर के इस बाजड़ा जोन को भूजल भंडार के रूप में तैयार किया जाएगा।
- खंडवा की खालवा और अमरावती के खरिया-गुरीघाट में 8.31 टीएमसीएम भंडारण क्षमता का बांध बनेगा।
- दोनों तरफ दो नहर निकाली जाएंगीं और ताप्ती नदी की जलधारा को तीन हिस्सों में बांट दिया जाएगा।
इस तरह होगा जल बटवारा
पहला चरण
- नदी के दाएं तटबंध की ओर 221 किलोमीटर लंबी नहर बनेगी। इस नहर का 110 किमी हिस्सा मध्यप्रदेश में रहेगा।
- नदी के बांये तटबंध की ओर 135.64 किलोमीटर लंबी नहर बनेगी। इस नहर का 100.442 किमी हिस्सा मध्यप्रदेश में रहेगा।
दूसरा चरण
- महाराष्ट्र के सूखे क्षेत्रों में पानी पहुंचाने के लिए बांयी तटबंध नहर के 90.89 किमी दूर के स्थान पर 14 किमी लंबी टनल बनाई जाएगी।
- सिंचाई के लिए पानी शिफ्ट होने के बाद जो अतिरिक्त जल बचेगा, उसे बाजड़ा जोन में डालकर रीचार्ज के लिए भंडारण किया जाएगा।