कर्जे पर कर्जा: GIS से पहले MP सरकार लेने जा रही 6 हजार करोड़ का लोन, अब तक मध्य प्रदेश पर 41,000 Cr बकाया
मध्य प्रदेश। मोहन यादव की सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले 6 हजार करोड़ रुपए का लोन लेने जा रही है। इस तरह अब तक मध्य प्रदेश पर 41,000 करोड़ रुपए लोन के रूप में बकाया हैं। तीन अलग - अलग किस्तों में यह लोन लिया जाएगा। एक लोन का भुगतान 12, दूसरे का 15 और तीसरे लोन का भुगतान 23 साल में किया जाएगा। इसके पहले 1 जनवरी को ही एमपी सरकार द्वारा पांच हजार करोड़ का लोन लिया गया था।
बीते चार महीने में ही मध्य प्रदेश सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपए का लोन ले लिया है। अब ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले सरकार दोबारा बड़ी रकम लोन के रूप में उठाने वाली है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए करोड़ों रुपए खर्च होने हैं। इसके चलते सरकार ने दोबारा लोन लेने की तैयारी कर ली है।
कब- कब लिया सरकार ने कर्जा :
23 जनवरी को 2500 करोड़ का कर्ज लिया गया।
6 फरवरी को 3 हजार करोड़ और 27 फरवरी को पांच - पांच हजार करोड़ रुपए के दो लोन लिए गए।
26 मार्च को 5 हजार करोड़ रुपए का लोन लिया।
6 अगस्त को दो किस्तों में पांच हजार करोड़ का लोन और 27 अगस्त को 14 और 21 साल के लिए 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज।
24 सितंबर 2024 को फिर 2500-2500 करोड़ रुपए के कर्ज, दोनों ही कर्ज 12 साल और 19 साल की अवधि के लिए हैं।
8 अक्टूबर को 11 और 19 साल के लिए 5 हजार करोड़ का लोन।
26 नवंबर को स्टाक गिरवी रखकर सरकार ने 5 हजार करोड़ बाजार से उठाए।
24 दिसंबर को 5000 करोड़ रुपए का कर्जा।
बता दें कि, मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में अधोसंरचना विकास को गति देने के उद्देश्य के साथ केंद्र सरकार से अधिक कर्ज लेने की अनुमति मांगी थी। सरकार ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के अनुपात में कर्ज सीमा को तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत करने का आग्रह किया था। वर्तमान में राज्य को जीएसडीपी के तीन प्रतिशत के अनुपात में कर्ज लेने की अनुमति है।
अधोसंरचना विकास के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाने की तैयारी
मध्य प्रदेश सरकार ने अधोसंरचनात्मक परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा करने के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह खर्च वर्तमान में 60,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जिसे अगले वित्तीय वर्ष में 65,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने की योजना है।