Kolkata Rape Case: 71 पद्म पुरस्कार प्राप्त डॉक्टरों ने लिखी पीएम मोदी को चिट्ठी, डॉक्टर की हत्या के न्याय और कानून में बदलाव की कही बात

कोलकाता में जिस तरह से महिला डॉक्टर के साथ घटना हुई है उससे पूरा देश गुस्से में आ गया है। हर तरफ बस लोग न्याय की मांग कर रहे है। इसी को देखते हुए 71 पद्म पुरस्कार प्राप्त किये डॉक्टरों ने भी पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी और उनसे न्याय की मांग की।

Update: 2024-08-18 14:26 GMT

कोलकाता केस के बाद महिला डॉक्टर को न्याय दिलाने की मांग काफी ज्यादा तेज हो गई है। पीएम मोदी को अब तक 71 पद्म पुरस्कार विजेता डॉक्टरों चिट्ठी लिख कर भेजी है। जिसमें उन्होंने यह मांग की है कि उस डॉक्टर को जल्द से जल्द न्याय मिले और जो भी इस काम में मिला हुआ है उसे सजा दिलाई जाए। इसी के साथ चिट्ठी में डॉक्टरों ने चिकित्सा पेशेवरों और चिकित्सा संस्थानों में हो रहे शारीरिक और मौखिक हिंसा से निपटने के लिए अलग से कानून बनाने की मांग की है। आपको बता दें कि चिट्ठी लिखने में डॉ हर्ष महाजन, डॉ अनूप मिश्रा, डॉ एके ग्रोवर, डॉ अलका कृपलानी, डॉ मोहसिन वली, डॉ अंबरीश मिथल , डॉ प्रदीप चौबे, डॉ अनिल कोहली समेत कई लोग शामिल है।


चिट्ठी में डॉक्टरों ने क्या लिखा

डॉक्टरों ने लिखा की जिस तरह से कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ घटना घाटी है उसको देखते हुए हम इतना कहना चाहते है कि आप इस मामले में हस्तक्षेप ले। उन्होंने यह भी लिखा कि ऐसी घटना चिकित्सा के क्षेत्र में होने से पूरी कार्यप्रणाली हिल गई है। विशेष कर महिलाओं और लड़कियों के साथ जिस तरह के हादसे हो रहे है उसपर जल्द से जल्द आप एक्शन ले। डॉक्टरों ने कहा कि हम महिला डॉक्टर के परिवार वालों के साथ मजबूती के साथ खड़े है। आप तत्काल रूप से कानून प्रवर्तन एजेंसियों, नीति निर्माताओं के साथ मिलकर इसपर विचार करें।

पीएम मोदी से है मांग

अपनी चिट्ठी में डॉक्टरों ने पीएम मोदी से मांग की है। जो कुछ इस प्रकार है। उन्होंने लिखा कि जो भी मौजूदा कानून है उसे सख्ती से लागू किया जाए। जो भी यौन हिंसा से जुड़े हुए आरोपी है उनपर समय रहते कारवाही और उन्हें दंड दिया जाए। अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में उचित सुरक्षा की व्यवस्था। जो भी हमारे सुरक्षाकर्मी है उनकी सुरक्षा के लिए विशेष कानून। डॉक्टरों ने कहा कि 2019 में “डॉक्टरों, चिकित्सा पेशेवरों और चिकित्सा संस्थानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक” जो अभी तक संसद में पेश भी नहीं किया गया उसे जल्द से जल्द सामने लाया जाए और एक अध्यादेश के जरिये पूरे देश में लागू किया जाये।

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