बंगाल की जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने पर हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने कहा कि जो महिलाएं जेल में कैदी हैं, वे प्रेग्नेंट हो रही हैं, इससे बड़ी सुरक्षा चूक नहीं हो सकती। पांच अप्रैल तक राज्य सरकार लिखित में बताए कि आखिर ऐसा कैसे हो रहा है। न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह की घटना समाज पर क्या प्रभाव डाल रही है, यह समझा जा सकता है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की विभिन्न जेलों में बंद महिला कैदियों के गर्भवती होने के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची और अजय कुमार गुप्त की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। न्यायालय मामले को देखते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट देने का कहा है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जो महिलाएं जेल में कैदी हैं, वे प्रेग्नेंट हो रही हैं, इससे बड़ी सुरक्षा चूक नहीं हो सकती। पांच अप्रैल तक राज्य सरकार लिखित में बताए कि आखिर ऐसा कैसे हो रहा है। न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह की घटना समाज पर क्या प्रभाव डाल रही है, यह समझा जा सकता है। पहले तो वे महिलाएं जेल में बंद हैं और उसके बाद उनके साथ इस तरह का आचरण उनकी मानसिकता पर किस तरह का प्रभाव डाल रहा होगा, यह समझा जा सकता है। उन्होंने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इसमें विस्तृत रिपोर्ट चाहिए कि आखिर यह सब हुआ कैसे।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद 196 महिला कैदियों के बच्चे हो चुके हैं, जिन्हें विभिन्न होम में रखा गया है। ये ऐसी महिलाएं हैं जो कैद में रहने के एक साल के बाद गर्भवती हुईं और बच्चे का जन्म हुआ। जेल में महिला कैदियों के गर्भवती होने के कई और मामले सामने आए हैं जिसे लेकर पश्चिम बंगाल सरकार की पूरे देश में किरकिरी हुई है।