राम नाईक ने मौत से हार नहीं मानी और फिर राष्ट्र सेवा के कार्य में लौटे: पीयूष गोयल

पुस्तक के विमोचन पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि राम नाईक का जीवन चरैवेति चरैवेति का साक्षात उदाहरण है।

Update: 2024-01-07 07:14 GMT

कोलकाता। उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम नाईक की ओर से लिखी गई पुस्तक चरैवेति चरैवेति के बंगला संस्करण का विमोचन शनिवार को कोलकाता में हुआ। भाषा परिषद में पुस्तक के विमोचन पर केंद्रीय कपड़ा, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे। उनके साथ राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस, त्रिपुरा, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल तथागत राय के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुराने स्वयंसेवक लक्ष्मी नारायण भाला और कई अन्य वरिष्ठ लोग उपस्थित रहे।

पुस्तक के विमोचन पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि राम नाईक का जीवन चरैवेति चरैवेति का साक्षात उदाहरण है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जवानी के दिनों में राम नाईक का घातक एक्सीडेंट हुआ था। सभी ने उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन उन्होंने मौत से हार नहीं मानी और फिर राष्ट्र सेवा के कार्य में लौटे। उसके बाद वह कैंसर की भी चपेट में आ गए। आज से तीन दशक पहले कैंसर होना ही मौत का पैगाम हुआ करता था लेकिन उन्होंने कैंसर को भी मात दी। एक छोटे से गांव से निकलकर तीन बार विधायक और पांच बार सांसद बने।

अपने संस्मरणों को याद करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि जब राम नाईक अटल जी की सरकार में पेट्रोलियम मंत्री बने तो उन्होंने एलपीजी सिलेंडर को आम जनता के लिए सुलभ कर दिया। नहीं तो पहले सिलेंडर लेने के लिए सांसदों के घरों के बाहर लोगों का मजमा लगता था और जो बेहद खास होता था केवल उसी को सिलेंडर मिलता था। उन्होंने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद 1951 से लेकर आज तक 90 वर्ष की आयु में राम नाईक जी राष्ट्र सेवा कर रहे हैं जो चरैवेति चरैवेति का री उदाहरण है।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉक्टर सी.वी. आनंद बोस ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि मेरा जीवन एक संदेश है और राम नाईक ने साबित किया है कि उनका जीवन एक संदेश है। जिस तरह से उन्होंने गरीबों और देश के लोगों की सेवा में अपने आप को समर्पित किया है वह अनुकरणीय है। अपनी पुस्तक के विमोचन के मौके पर संबोधन करते हुए राम नाईक ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने ही अपने तरीके से चरैवेति चरैवेति की बात की थी और उन्हीं की भूमि पर बंगाली भाषा में पुस्तक का अनुवाद सौभाग्य है। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी जिक्र करते हुए कहा कि जब मैं सांसद था तब विपक्ष में रहते हुए प्राइवेट बिल लाया था जिसमें महिलाओं के लिए अलग से ट्रेन और स्तनपान को बढ़ावा देने की बात की गई थी। तब ममता बनर्जी राज्य मंत्री थी और उन्होंने इसकी सराहना करते हुए बिल लाने की बात की थी। भारत में पहली बार महिला स्पेशल ट्रेन चली। तथागत राय ने अपने संबोधन में कहा कि राज्यपाल के तौर पर जिस तरह से राम नाईक ने आम जनता के लिए राज भवन को आसानी से पहुंच लायक बनाया वह वास्तव में लोकतंत्र को सजीव करने जैसा है।

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