तृणमूल की दो टूक, कांग्रेस के लिए दरवाजा खुला है पर बात बनी तो ठीक नहीं तो अकेले चुनाव लड़ेंगे

लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बनर्जी ने कहा कि सीट बंटवारे के बारे में कांग्रेस के स्थानीय नेता क्या सोच रहे हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि अंतिम निर्णय दोनों दलों के शीर्ष नेताओं द्वारा लिया जाएगा।

Update: 2024-01-06 11:01 GMT

कोलकाता । पश्‍चमि बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल में तनातनी जारी है। तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के लिए उसके दरवाजे खुले हैं। पार्टी ने कहा कि बात बनी तो ठीक है लेकिन अगर बातचीत विफल रहती है तो वह अकेले चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार है। लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बनर्जी ने कहा कि सीट बंटवारे के बारे में कांग्रेस के स्थानीय नेता क्या सोच रहे हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि अंतिम निर्णय दोनों दलों के शीर्ष नेताओं द्वारा लिया जाएगा।

उन्होंने कहा, हमारी नेता ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि कांग्रेस के लिए हमारा दिल खुला है। अब वे क्या करेंगे यह उन पर निर्भर है। पश्चिम बंगाल में गठबंधन होगा या नहीं, इसका फैसला सोनिया गांधी और ममता बनर्जी करेंगी। स्थानीय कांग्रेस नेता क्या सोचते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के उस बयान के दो दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी से सीट की भीख नहीं मांगेगी।

तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि पार्टी पश्चिम बंगाल में गठबंधन के लिए तैयार है लेकिन जरूरत पड़ने पर वह अकेले भी चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है। पार्टी के कई नेताओं ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस राज्य की 42 लोकसभा सीट में से चार सीट कांग्रेस के लिए छोड़ने पर विचार कर रही है। उल्लेखनीय है कि साल 2019 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 22 सीट, कांग्रेस ने दो सीट और भाजपा ने राज्य में 18 सीट हासिल की थी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने मुर्शिदाबाद जिले की बहरमपुर सीट से जीत दर्ज की थी और पूर्व केंद्रीय मंत्री अबू हासिम खान चौधरी ने पड़ोसी जिले की मालदा दक्षिण सीट से लगातार तीसरी जीत हासिल की थी। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष बनर्जी ने इससे पहले पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और वाम दलों के बीच गठबंधन का भरोसा जताया था।

इस पर तृणमूल की धुर विरोधी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने तत्काल खारिज कर दिया था और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इसकी आलोचना की थी। कुछ दिन बाद, उन्होंने दोनों दलों पर भाजपा के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह तृणमूल कांग्रेस ही है जो पश्चिम बंगाल में भाजपा का मुकाबला करेगी। तृणमूल कांग्रेस ने इससे पहले 2001 के विधानसभा चुनाव, 2009 के लोकसभा चुनाव और 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। हालांकि उसके बाद 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वाम दलों के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था।

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