अजमेर संभाग की 29 सीटों पर कहीं तीसरे मोर्चे, तो कहीं बागियों ने उड़ाई कांग्रेस-भाजपा की नींद

अजमेर संभाग में कांग्रेस और भाजपा के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी ताल ठोकी है। कई सीटों पर तो बागियों ने कांग्रेस और भाजपा की नींद उड़ा रखी है। मतदाता 25 नवम्बर को अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर देंगे। 2018 में अजमेर संभाग में कांग्रेस की स्थिति मजबूत थी। संभाग की 29 सीटों में से कांग्रेस को 14 और बीजेपी को 12 सीटें मिली थी, जबकि दो आरएलपी और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। इस बार सियासी हालात बदल चुके हैं। भाजपा ध्रुवीकरण और कांग्रेस अपनी योजनाओं के भरोसे चुनावी मैदान में है

Update: 2023-11-24 06:13 GMT

जयपुर । अजमेर संभाग में कांग्रेस और भाजपा के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी ताल ठोकी है। कई सीटों पर तो बागियों ने कांग्रेस और भाजपा की नींद उड़ा रखी है। मतदाता 25 नवम्बर को अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर देंगे। 2018 में अजमेर संभाग में कांग्रेस की स्थिति मजबूत थी। संभाग की 29 सीटों में से कांग्रेस को 14 और बीजेपी को 12 सीटें मिली थी, जबकि दो आरएलपी और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। इस बार सियासी हालात बदल चुके हैं। भाजपा ध्रुवीकरण और कांग्रेस अपनी योजनाओं के भरोसे चुनावी मैदान में है।

सियासत में अजमेर संभाग की 29 सीटें काफी मायने रखती है। संभाग में चार जिले अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा और टोंक जिला शामिल है। 2018 के चुनाव में अजमेर की 8 सीटों में से भाजपा को 5, कांग्रेस को 2 और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। नागौर जिले की 10 सीटों में से कांग्रेस के खाते में 7, बीजेपी को एक और आरएलपी को दो सीटें मिली थी। भीलवाड़ा की 7 सीटों में से 5 बीजेपी, 2 सीट कांग्रेस को मिली थी. टोंक की चार सीटों में से 3 कांग्रेस और 1 सीट बीजेपी को मिली थी। यानी 29 सीटों में से कांग्रेस का 14 और भाजपा का 12, आरएलपी का 2 और 1 सीट निर्दलीय के कब्जे में थी। 2018 के चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का फायदा कांग्रेस को मिला। युवा जोश और अनुभव की जुगल जोड़ी ने प्रदेश में भाजपा को सत्ता से वंचित कर दिया था। 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। इसमें अजमेर संभाग से एक उपमुख्यमंत्री, दो कैबिनेट मंत्री बने थे।

2018 में अजमेर की सीटों पर अजमेर उत्तर से वासुदेव देवनानी बीजेपी, अजमेर दक्षिण से अनीता भदेल बीजेपी, पुष्कर से सुरेश सिंह रावत बीजेपी, नसीराबाद से रामस्वरूप लांबा बीजेपी, मसूदा से राकेश पारीक कांग्रेस, ब्यावर से शंकर सिंह रावत बीजेपी, किशनगढ़ से सुरेश टांक निर्दलीय, केकड़ी से डॉ रघु शर्मा कांग्रेस, नागौर की 10 सीटों में से नागौर में मोहन राम चौधरी बीजेपी, परबतसर में रामनिवास गावड़िया कांग्रेस, नावां में महेंद्र चौधरी कांग्रेस, लाडनूं में मुकेश भाकर कांग्रेस, डीडवाना में चेतन डूडी कांग्रेस, डेगाना में विजयपाल मिर्धा कांग्रेस, खींवसर में नारायण बेनीवाल आरएलपी, जायल में मंजू मेघवाल कांग्रेस, मकराना में जाकिर हुसैन गैसावत कांग्रेस और मेड़ता में इंदिरा बावरी आरएलपी जीती थी। भीलवाड़ा की 7 सीटों पर भीलवाड़ा में विट्ठल शंकर अवस्थी बीजेपी, आसींद में जब्बर सिंह सांखला बीजेपी, शाहपुरा में कैलाश मेघवाल बीजेपी, मांडल में रामलाल जाट कांग्रेस, जहाजपुर में गोपीचंद मीणा बीजेपी, सहाड़ा में गायत्री त्रिवेदी कांग्रेस और टोंक जिले की चार सीटों पर टोंक में सचिन पायलट कांग्रेस, निवाई में प्रशांत बैरवा कांग्रेस, मालपुरा में कन्हैया लाल चौधरी बीजेपी और देवली-उनियारा में हरिश्चंद्र मीणा कांग्रेस जीते।

इस बार केकड़ी से कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. रघु शर्मा मैदान में हैं। वहीं, भाजपा से पूर्व विधायक शत्रुघ्न गौतम प्रत्याशी हैं। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। डॉ. रघु शर्मा कांग्रेस सरकार में चिकित्सा मंत्री रहे हैं। अजमेर उत्तर की सीट भी सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह की वजह से काफी चर्चित है। इस सीट पर गत 20 वर्षों से भाजपा का कब्जा रहा है। चार बार से वासुदेव देवनानी भाजपा से विधायक हैं और पांचवीं बार देवनानी चुनाव में खड़े हैं। पुष्कर हिंदुओं का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। यहां कांग्रेस ने अल्पसंख्यक महिला नसीम अख्तर को मैदान में तीसरी बार उतारा है। नसीम अख्तर 2008 में पुष्कर से विधायक रह चुकीं हैं और तत्कालीन समय में गहलोत सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री रहीं थीं। यहां भाजपा ने गत दो बार से विधायक सुरेश सिंह रावत को मैदान में उतारा है। यहां कांग्रेस और भाजपा को निर्दलीय उम्मीदवार श्रीगोपाल बाहेती चुनौती दे रहे हैं। बाहेती पुष्कर से कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। मार्बल सिटी किशनगढ़ की सीट भी चर्चा में है। यहां भाजपा ने लोकसभा सांसद भागीरथ चौधरी को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने वाले विकास चौधरी को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। यहां निर्दलीय विधायक सुरेश टांक दोबारा अपना भाग्य आजमा रहे हैं।

टोंक सीट अजमेर संभाग की सबसे हॉट सीट है। यहां पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट चुनावी मैदान में हैं। पायलट टोंक से विधायक हैं। वहीं, भाजपा से यहां पूर्व विधायक अजीत सिंह मेहता हैं। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने-सामने की टक्कर है। इसी तरह देवली-उनियारा सीट पर राजस्थान पुलिस के पूर्व डीजीपी हरिश्चंद्र मीणा कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। मीणा इस सीट से विधायक हैं। बीजेपी ने यहां कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला को मैदान में उतारा है। इस सीट से कांग्रेस के बागी डॉ. विक्रम सिंह गुर्जर आरएलपी से प्रत्याशी हैं। यहां त्रिकोणीय संघर्ष बना हुआ है। नागौर सीट से बीजेपी ने ज्योति मिर्धा को मैदान में उतारा है। ज्योति मिर्धा नागौर से सांसद भी रह चुकीं हैं। यहां कांग्रेस से हरेंद्र मिर्धा और निर्दलीय हबीबुर्रहमान मैदान में हैं। नागौर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है। इसी तरह खींवसर सीट से आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल मैदान में हैं। यहां कांग्रेस ने तेजपाल मिर्धा और बीजेपी ने रेवत राम डांगा को मैदान में उतारा है। इसी तरह डीडवाना सीट से वसुंधरा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यूनुस खान निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। यूनुस खान को वसुंधरा राजे का करीबी माना जाता है, लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण यूनुस खान ने भाजपा से इस्तीफा देकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक दी है। यहां बीजेपी ने जितेंद्र सिंह और कांग्रेस ने विधायक चेतराम डूडी को मैदान में उतारा है।

भीलवाड़ा की शाहपुरा सीट भाजपा के कद्दावर नेता रहे कैलाश मेघवाल के कारण चर्चा में है। कैलाश मेघवाल ने टिकट नहीं मिलने पर यहां निर्दलीय ताल ठोक रखी है। यहां भाजपा ने लाला बैरवा और कांग्रेस ने नरेंद्र रेगर को मैदान में उतारा है. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है।

Tags:    

Similar News